
उत्तर प्रदेश शासन ने सरकारी सेवकों की मृत्यु होने की दशा में उनके द्वारा अर्जित अवकाश के लिए नकदीकरण के देय धनराशि के भुगतान के लिए आश्रित पात्रों की वरीयता का निर्धारण कर दिया है। यदि मृत सरकारी सेवक (पुरुष) था और उसकी एक से अधिक विधवाएं हैं तो विवाह की तिथि को आधार बनाते हुए सबसे बड़ी विधवा को देय धनराशि का नकद भुगतान किया जाएगा।
अपर मुख्य सचिव वित्त एस. राधा चौहान ने इस आशय का शासनादेश मंगलवार को जारी किया है। शासनादेश के मुताबिक यदि मृत सरकारी सेवक पुरुष था तो उसकी पत्नी को और यदि स्त्री थी तो उसके पति को दिया जाएगा।
मृत्यु के बाद पत्नियों के बीच होने वाले विवादों पर लगेगा विराम
मृतक की पत्नियों को भुगतान किए जाने के संबंध में कई पत्नियां होने पर होने वाले विवाद को खत्म करने की व्यवस्था इस शासनादेश के माध्यम से की गई है। नकदीकरण का भुगतान सबसे बड़ी ब्याहता पत्नी को करने का आदेश दिया गया है। इसे भी परिभाषित करते हुए लिखा गया है कि सबसे बड़ी जीवित पत्नी से आशय मृतक की ब्याहता की विवाह की तिथि के अनुसार वरिष्ठता तय की जाएगी न कि उम्र से।
आश्रित के रूप में विधवा या पति के नहीं होने पर बड़े पुत्र को
पत्नी या पति जैसा भी मामला हो दोनों के नहीं होने पर सबसे बड़े जीवित पुत्र को या दत्तक पुत्र को यह भुगतान किया जाएगा। मृतक की पत्नी या पति के साथ ही सबसे बड़े जीवित पुत्र या एक दत्तक पुत्र के नहीं होने पर यह भुगतान सबसे बड़ी जीवित अविवाहित पुत्री को किया जाएगा। पत्नी, पति, बड़े जीवित पुत्र, एक दत्तक पुत्र और सबसे बड़ी अविवाहित पुत्री के नहीं होने पर सबसे बड़ी जीवित ऐसी पुत्री जिसके पति का निधन हो गया हो, उसको भुगतान किया जाएगा।
पत्नी और पुत्र-पुत्री के नहीं होने पर पिता को
उपरोक्त में से किसी के नहीं होने पर मृत सरकारी सेवक के पिता को और पिता के नहीं होने पर माता को देने का आदेश है। इनमें से किसी के नहीं होने पर सबसे बड़ी जीवित विवाहित पुत्री को यह लाभ मिलेगा। इसमें से किसी के नहीं होने पर 18 वर्ष से कम आयु के सबसे बड़े जीवित भाई को, इनके नहीं होने पर सबसे बड़ी जीवित अविवाहित बहन को, इनके भी नहीं होने पर सबसे बड़ी जीवित बहन जिसके पति का निधन हो गया हो, उसको और इनमें से कोई आश्रित नहीं होने पर अंत में यह धनराशि मृत ज्येष्ठ पुत्र के सबसे बड़े बच्चे को भुगतान किया जाएगा।