विश्वविद्यालय में बिना पद और आदेश के 56 लोगों की नियुक्ति का मामला सामने आया है। ऑडिट में इसका खुलासा होने के बाद मामले में वित्त सचिव अमित नेगी ने उच्च शिक्षा सचिव को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए पत्र भी लिखा गया। लेकिन मामला नेताओं व अफसरों के चहेतों की नियुक्ति से जुड़ा होने की वजह से पत्र लिखने के एक साल बाद भी कार्रवाई नहीं हुई।
शासनादेश है कि यदि पद स्वीकृत हैं तो उन पर भी नियुक्तियां शासन के आदेश के बिना नहीं होंगी। यह नियम संविदा, दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित, नियत वेतन, अंशकालिक एवं तदर्थ नियुक्तियां पर लागू होगा। स्वीकृत पदों से इतर की गई नियुक्तियां शून्य मानी जाएंगी।
आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि इस तरह की कोई नियुक्तियां भविष्य में की गई हों तो उनके पारिश्रमिक का भुगतान संबंधित अधिकारी के वेतन, पेंशन से किया जाएगा।