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गर्भावस्था में स्मोकिंग से शिशु की सुनने की क्षमता होती है प्रभावित, जानें कारण

गर्भावस्था एक ऐसा समय है, जो महिलाओं के लिए बेहद खास और संवेदनशील होता है। इस दौरान मां की हर गतिविधि का असर शिशु के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसीलिए महिलाओं को इस दौरान खान-पान और आदतों पर ध्यान देने की विशेष सलाह दी जाती है। बहुत सारी महिलाएं धूम्रपान करती हैं। धूम्रपान का आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। मगर गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान का असर आपके साथ-साथ होने वाले शिशु पर भी पड़ता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान या जन्म के बाद आपके बच्चे के तंबाकू के संपर्क में आने से उसकी श्रवण शक्ति को नुकसान हो सकता है।

शोध में सामने आई बात

जापान के क्योटो यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में यह बात सामने आई कि प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग से बच्चों में कान संबंधी परेशानियों का खतरा 68% तक बढ़ जाता है। क्योटो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कोजी कवाकामी ने कहा, “यह शोध साफ तौर पर दिखाता है कि गर्भावस्था के दौरान तम्बाकू के धुएं के संपर्क में आने और जन्म के बाद इससे बचाए रखने से बच्चों में सुनने संबंधी दिक्कतों के जोखिम को कम किया जा सकता है.” यह शोध ‘पीडियाट्रिक एंड पैरेंटल इपिडेमिओलॉजी’ नामक पत्रिका में किया गया है। इस शोध में 3 साल से कम उम्र के 50,734 बच्चों के शामिल किया गया।

गर्भनाल के निर्माण में बाधा

गर्भनाल का निर्माण भ्रूण और मां दोनों की कोशिकाओं से होता है। धूम्रपान करने से गर्भनाल के विकास में दिक्‍कत होती है। गर्भनाल से बच्‍चे को ऑक्‍सीजन और पोषक तत्‍व मिलते हैं। धूम्रपान करने से गर्भनाल की लंबाई पर असर होता है और और प्रसव के दौरान दिक्‍कत होती है कई बार तो सिजेरियन (डिलीवरी के दौरान ऑपरेशन) की नौबत आ जाती है।

बच्चों के कद और वजन पर प्रभाव

गर्भावस्‍था के दौरान धूम्रपान करने से गर्भस्थ शिशु का विकास रुक सकता है। बच्‍चा सामान्‍य कद से छोटा पैदा होता है। बच्‍चे का वजन सामान्‍य से कम होता है क्‍योंकि धूम्रपान के कारण उसे जरूरी पोषक तत्‍व नही मिल पाते हैं और उसका शरीर पूरी तरह विकसित नही हो पाता है।

कमजोर होती है शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता   

गर्भावस्था में धूम्रपान से शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जिसके कारण बच्‍चे को कई सामान्‍य बीमारियां होने का खतरा रहता है। सामान्‍य दिनों में भी बच्‍चे को कोल्‍ड और फ्लू जैसे रोग ज्‍यादा होते हैं। धूम्रपान के कारण शिशु को अस्‍थमा जैसे फेफड़े से संबंधित रोग गर्भ में ही हो जाते हैं।

फेफड़ों और सांस की समस्या

प्रेग्नेंसी में स्मोकिंग के कारण कई बार फेफड़ों का विकास न हो पाने के कारण शिशु को कुछ दिन तक सांस लेने वाली मशीन पर रखा जा सकता है। ऐसी स्थिति निकोटीन के प्रभाव के कारण होती है। गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली मां से पैदा हुए बच्चे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम और अस्थमा (एसआईडीएस) की चपेट में आ सकते हैं। गर्भपात की नौबत भी आ सकती है। अक्‍सर गर्भावस्‍था के दौरान धूम्रपान और ड्रग्‍स लेने ब्‍लीडिंग होती है और एबॉर्शन की नौबत आ जाती है।