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इन वजहों से आप हो सकते हैं बहरे, कैसे करें बचाव

कभी तैराकी से, तो कभी तेज आवाज से,  कभी चोट लग जाने से, तो कभी किसी नुकीली चीज द्वारा कानों की सफाई करने से कान बीमार हो जाते हैं। 30 सितंबर को विश्व बधिर दिवस था। इस मौके पर कान के बचाव के बारे में बता रही हैं विनीता झा…

हमारे शरीर में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं हमारे कान। जीवनशैली ने हमारे शरीर के अन्य अंगों की तरह कानों को भी प्रभावित किया है। अधिक तेज स्वर में संगीत सुनने, ईयरफोन पर घंटों गाने सुनने और कहीं लाउडस्पीकर, डी जे आदि के पास से गुजरने के कारण कान की बाहरी परत क्षतिग्रस्त हो जाती है। इस कारण सुनने की क्षमता कम हो जाती है। कानों की समस्याएं युवाओं में अधिक देखी जा रही हैं। इनमें सबसे खतरनाक बीमारी है बहरापन।

विश्व बधिर दिवस का उद्देश्य
विश्व बधिर दिवस प्रतिवर्ष सितंबर माह के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। इस वर्ष यह दिवस 30  सितंबर को मनाया गया। यह दिवस पीड़ित व्यक्तियों एवं उनके पारिवारिक सदस्यों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ही नहीं मनाया जाता, अपितु इस दिवस को मनाने का उद्देश्य बहरे लोगों के समुदाय की चुनौतियों एवं उपलब्धियों के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करना भी हैं।

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स्विमिंग में सावधानी
स्विमिंग पूल में बालों को ही नहीं, कानों को भी नुकसान होता है। पूल में पानी को साफ रखने के लिए क्लोरीन का प्रयोग किया जाता है, जो कानों में चला जाता है। इससे कानों में दर्द होना या तरल पदार्थ बहने की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए ईयर प्लग का इस्तेमाल करना जरूरी है।

शोर-शराबे से दूरी
मशीनों, फैक्ट्रियों और खासतौर पर ऑटोमोबाइल से निकलने वाले शोर के कारण वातावरण में ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। इस कारण सुनने की क्षमता कम हो रही है।

कान में संक्रमण के कारण
कान में संक्रमण की समस्या भी हो सकती है। कान में आसानी से तरल पदार्थ प्रवेश कर सकता है। कानों में संक्रमण के कारण खसरा आदि बीमारियां हो सकती हैं। इनसे सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए जब भी कान में तरल पदार्थ चला जाये तो कानों को अच्छे से साफ जरूर करें।

चोट लगने के कारण
अगर कान में किसी तरह की चोट लग गई है तो इस कारण भी सुनने की क्षमता कम हो जाती है। वाहन चलाते समय कोई दुर्घटना होने से भी कान में अचानक तेज दर्द हो तो कान के पर्दे की जांच जरूरी हो जाती है।

सावधानी
कभी-कभी तो बहरापन इतना ज्यादा गंभीर हो जाता है कि रोगी को अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ सकता है। सड़क पर चलते समय बहरेपन की वजह से ज्यादा हादसे होते हैं, क्योंकि गाड़ियों की आवाज ना सुनाई देने के कारण ऐसे व्यक्ति हासदे की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए समय रहते किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाएं।

अगली स्लाइड में जानें हिर्यंरग एड का कब करें इस्तेमाल…

क्या हैं उपाय

नियमित जांच

(नारायणा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सतीश कॉल व श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के ईएनटी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रोहित बिश्नोई से की गई बातचीत पर आधारित)

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बेहतरीन सुझाव है हिर्यंरग एड
अगर कान का पर्दा फट गया है और कान से सुनाई नहीं देता तो डॉक्टर हिर्यंरग एड लगा सकते हैं। इससे सुनाई देने लगता है, लेकिन आमतौर पर डॉक्टर ऐसा नहीं करते। डॉक्टर ऐसी स्थिति में सर्जरी कराने की ही सलाह देते हैं, क्योंकि हिर्यंरग एड से कान की समस्या बनी रहती है, जबकि सर्जरी से उसे ठीक कर दिया जाता है। अगर कान से डिस्चार्ज हो रहा है तो किसी भी हालत में हिर्यंरग एड लगाने की सलाह नहीं दी जाती। आकार के हिसाब से हिर्यंरग एड चार तरह के हो सकते हैं। ये हैं पॉकेट मॉडल, कान के पीछे लगाए जाने वाले, कान के अंदर लगाए जाने वाले और चश्मे के साथ लगाए जाने वाले। चारों तरह के हिर्यंरग एड एनालॉग और डिजिटल दोनों श्रेणी में उपलब्ध हैं।