Site icon Overlook

मराठा आरक्षण का निर्णय सिर्फ भावनाओं के आधार पर नहीं हो सकता: फड़नवीस

मुंबई, राज्य ब्यूरो। मराठा आरक्षण समर्थक आंदोलनकारियों ने बुधवार से राज्य में जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया है। जबकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का कहना है कि मराठा आरक्षण का निर्णय सिर्फ भावनाओं के आधार पर नहीं किया जा सकता। इसके लिए कोर्ट में टिकने लायक कानूनी आधार बनाना जरूरी है।

देवेंद्र फड़नवीस आज मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज के एक वंशज छत्रपति राजाराम की एक पुस्तक के विमोचन समारोह में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने पिछले कुछ दिनों में मराठा आरक्षण की मांग के समर्थन में हो रही हिंसा एवं आत्महत्याओं को निराशाजनक बताया। फड़नवीस के अनुसार लोगों को यह समझना चाहिए कि दिया जानेवाला आरक्षण कानूनी पैमाने पर भी सही उतरना चाहिए। इससे 1992 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। हमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग को मिल रहे आरक्षण में छेड़छाड़ किए बगैर मराठा समाज को आरक्षण देना है। इस मुद्दे पर हमसे अध्यादेश लाने की मांग की जा रही है। यह लाया भी जा सकता है। लेकिन यह कोर्ट में टिकेगा नहीं। फड़नवीस ने सवाल किया कि हमें लोगों को सचमुच आरक्षण देना है, या उन्हें सिर्फ मूर्ख बनाना है ?

मुख्यमंत्री इससे पहले कह चुके हैं कि भाजपा सरकार के सत्ता में आने के एक साल के अंदर ही मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए कानून बनाया गया। लेकिन उच्चन्यायालय ने इसके अमल पर रोक लगा दी और सर्वोच्च न्यायालय ने उच्चन्यायालय के निर्णय को ही कायम रखा है। क्योंकि 1992 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में कहा गया है कि आरक्षण की सीमा ५० फीसद से अधिक नहीं हो सकती। इसे 50 फीसद से ऊपर ले जाने के लिए कुछ विशेष परिस्थितियां होनी चाहिएं, और ये परिस्थितियां राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पेश की जानी चाहिएं। सरकार ऐसा ही करने का प्रयास कर रही है।