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बसपा के साथ पर यूं ही खफा नहीं मुलायम, ये है बड़ा कारण

बृहस्पतिवार को लखनऊ पार्टी कार्यालय में अखिलेश को लेकर मुलायम की जो तल्खी दिखी वह यूं ही नहीं है। दरअसल लोकसभा चुनाव 2014 और विधानसभा चुनाव 2017 में सपा की स्थिति बसपा से ज्यादा मजबूत थी। चाहे बात वोटिंग प्रतिशत की हो या जीत की। सपा ने बसपा से ज्यादा दम दिखाया था।

विधान सभा चुनावों में तो कांग्रेस केसाथ गठबंधन होने की वजह से सपा ने कम सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन तो भी 311 में 47 प्रत्याशियों को जिताने में कामयाब हुई थी जबकि बसपा 403 सीटों पर चुनाव लड़ी और सिर्फ 19 विधायक ही बना सकी।

सपा-बसपा गठबंधन को लेकर पार्टी में तो कानाफूसी हो ही रही थी लेकिन मुलायम सिंह का जो इस समझौते को लेकर दर्द छलका उसके पीछे चुनावी आंकड़े भी हैं। बात अगर लोकसभा चुनाव 2014 की करें तो सपा ने यूपी में भाजपा के तूफान के बीच भी अपनी नाव को बिल्कुल डूबने नहीं दी थी और पांच सांसद बनाए थे।

सपा ने कुल वोटों का 22.35 फीसदी वोट भी हासिल किए थे। वहीं बसपा इस चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी और वोटिंग प्रतिशत भी सिर्फ 19.77 प्रतिशत ही था। विधानसभा चुनाव 2017 तब हुए जब केंद्र में भाजपा की सरकार थी। सपा ने 311 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और बाकी सीटें कांग्रेस को दे दी थीं।

सपा ने अपने बूतो तो 47 विधायक बनाए लेकिन कांग्रेस के 114 सीटों पर सिर्फ 7 प्रत्याशी ही जीत सके। तब भी माना गया था कि सपा को कांग्रेस गठबंधन से फायदे केबजाए नुकसान हुआ है। सपा को इस चुनाव में कुल 28.32 प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि बसपा विधान सभा चुनाव 2017 में 403 सीटों पर 19 प्रत्याशी ही जिता सकी थी। वोटिंग प्रतिशत भी सपा से कम 22.23 प्रतिशत था।

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