Site icon Overlook

हरियाणा के 50 हजार सरकारी कर्मचारियों को मिली सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत

चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में पक्के हुए 4654 कर्मचारियों के साथ ही सरकारी महकमों में लगे करीब 50 हजार कच्चे कर्मचारियों की नौकरी फिलहाल बच गई है। वर्ष 2014 की नियमितीकरण पॉलिसियों को रद करने के पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने सभी कच्चे कर्मचारियों को 30 नवंबर तक निकालने का आदेश दे रखा था, जिससे उनमें अफरातफरी मची हुई थी।

गत 30 मई को हाई कोर्ट ने हुड्डा सरकार द्वारा वर्ष 2014 में अधिसूचित नियमितीकरण की नीतियों को रद करते हुए निर्देश दिया था कि छह महीने में कच्चे कर्मचारियों को हटाकर पक्की भर्तियां की जाएं। इसके खिलाफ प्रदेश सरकार की ओर से विगत 6 सितंबर को मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग और उच्चतर शिक्षा निदेशक की ओर से जनहित याचिका दाखिल की गई थी। प्रतिवादियों योगेश त्यागी और अंसुल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस विनीत सरन की खंडपीठ ने नोटिस जारी करते हुए अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया।

बता दें कि फैसले से प्रभावित कर्मचारियों की नौकरी बचाने के लिए सर्व कर्मचारी संघ के साथ ही दूसरी यूनियनों ने विधानसभा के मानसून सत्र में बिल लाने का दबाव बनाया था। सरकार इसके लिए तैयार भी हो गई और बाकायदा बिल का ड्राफ्ट कर्मचारी संगठनों को सौंप दिया गया। बाद में सरकार ने विधानसभा में बिल लाने की बजाय हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दी।

उधर, सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कर्मचारियों को फौरी तौर पर राहत मिल गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने वादे को पूरा करते हुए अध्यादेश लाकर कर्मचारियों की नौकरी बचा सकते हैं।

Exit mobile version