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कर्जमाफी: गंगा जल लेकर किया गया वादा कांग्रेस के लिए चुनौती, किसानों को है बेसब्री से इंतजार

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश, राजस्थान के साथ ही छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार का चयन होने के बाद अब इंतजार केवल इसका नहीं है कि कमलनाथ, अशोक गहलोत और भूपेश बघेल अपने-अपने राज्य की बागडोर कब संभालते हैं, बल्कि इसका भी है कि वे अपने चुनावी वायदों को कैसे पूरा करते हैं? ऐसा इसलिए है, क्योंकि इन तीनों राज्यों के किसानों से कांग्रेस ने यह वादा किया है कि सत्ता में आने के दस दिनों के अंदर उनका कर्ज माफ कर दिया जाएगा।

लोक-लुभावन वादा पूरा करना आसान नहीं
यह लोक-लुभावन वादा चाहे जितना सोच समझ कर किया गया हो, इसे पूरा करना आसान नहीं। एक तो दस दिन में कर्ज माफी की जटिल प्रक्रिया को अंजाम देना कठिन है और दूसरे मध्य प्रदेश और राजस्थान की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि वे पालक झपकते उस भारी-भरकम राशि का प्रबंध कर लें जो किसान कर्ज माफी के लिए चाहिए।

राजस्थान में 90 हजार करोड़ तो मप्र में 50 हजार करोड़ चाहिए
एक अनुमान के अनुसार राजस्थान को किसान कर्ज माफी के लिए 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक चाहिए होंगे और मध्य प्रदेश को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये। छत्तीसगढ़ को कहीं कम राशि चाहिए होगी, लेकिन यह सवाल तो उसके सामने भी है कि महज दस दिन में किसानों से किया गया वह वादा कैसे निभाया जाए जो गंगा जल लेकर किया गया था? ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने कर्ज माफी समेत अन्य लोक-लुभावन वादे अंजाम की परवाह किए बगैर ही कर दिए। उसकी ओर से किए गए वादे आर्थिक नियमों की अनदेखी के साथ ही राजनीतिक समझ पर भी सवाल खड़ा करते हैं।

अतीत की गलतियों से भी सबक नहीं ले रहे राजनीतिक दल
यह सही है कि कर्ज माफी की जैसी घोषणा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में की गई वैसी ही इसके पहले अन्य राज्यों में भी की जा चुकी है। इनमें भाजपा शासित राज्य भी शामिल हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं की एक राजनीतिक दल दूसरे राजनीतिक दल अथवा अपने ही अतीत की गलतियों से सबक न सीखे। कम से कम कांग्रेस को तो यह अच्छी तरह पता होना चाहिए कि मनमोहन सरकार के समय घोषित कर्ज माफी की घोषणा का क्या नतीजा रहा? इसी तरह वह इससे भी अनभिज्ञ नहीं हो सकती कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के किसान कर्ज माफी के बाद भी परेशानी से उबरे नहीं।

कर्ज माफी के बाद भी कर्नाटक के किसान नाराज
समझना कठिन है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में कर्ज माफी की नाकाम साबित होती नीति की भी अनदेखी क्यों कर दी? कर्नाटक में कांग्रेस की पिछली सरकार भी कर्ज माफी की योजना लाई थी और इस बार उसके समर्थन वाली सरकार भी लाई। उसने अपनी इस योजना पर कथित तौर पर अमल भी किया, लेकिन यह तथ्य अभी हाल का है कि हजारों करोड़ रुपये के कर्ज माफ होने के बाद भी वहां के किसान नाराज हैं।

पंजाब में भी कर्ज माफी से किसान संतुष्ट नहीं
पंजाब में भी कर्ज माफी की योजना किसानों को संतुष्ट नहीं कर पा रही है। एक सच यह भी है कि किसान कर्ज माफी मुफ्तखोरी की संस्कृति को बल देने के साथ ही बैंकों का भी बेड़ा गर्क कर रही है। यह पर्याप्त नहीं कि तीन राज्यों में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी यह कह दिया कि कर्ज माफी किसानों की समस्या का सही समाधान नहीं, क्योंकि केवल सच की स्वीकारोक्ति किसी गंभीर मसले का हल नहीं हो सकती।

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