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इस बार बदला इलाज, अब मरीजों को नहीं दी जा रही एंटीबायोटिक दवा

कोरोना की तीसरी लहर में वायरस बॉडी को ज्यादा इफेक्ट नहीं कर पा रहा। अब कोरोना वायरस का स्वरूप सीजनल फ्यू जैसा ही है। इसमें दो तीन दिन जुकाम, खांसी व बुखार होने के बाद बॉडी रिकवर हो जाती है। तीसरी लहर में कोरोना का अब इलाज भी बदल चुका है। अब डॉक्टर कोरोना के मरीजों को एंटीबायोटिक दवा लेने की सलाह नहीं दे रहे. डॉक्टरों की सलाह है कि कोरोना रोगियों को अगर बुखार है तो सिर्फ बुखार की दवा लें और अगर खांसी हैं तो उसकी दवा लें, क्योंकि कोरोना टीकाकरण से शरीर में एंटीबॉडी बन चुकी है। ऐसे में एंटीबॉयोटिक दवाओं की जरूरत भी नहीं है।

इस बार बुखार नहीं, हो रहा बदन दर्द  

कोरोना की सभी लहर में कोरोना के लक्षणों में परिवर्तन हुआ है। कोरोना की तीसरी लहर में मरीजों को बुखार नहीं हुआ ब्लकि उन्हें बदन दर्द हुआ है। शरीर में जकड़न महसूस हुई है। इस रोग की दवा खाने के बाद मरीज दो दिन में रिकवर भी हो गए।

बिना डॉक्टर के परामर्श के नहीं होगा सीटी स्कैन

कोरोना की दूसरी लहर में वायरस ने फेफड़ों को बुरी तरह से इंफेक्टिड किया था। सैंकड़ों लोगों की मौत इसी कारण हो गई थी। कोरोना की तीसरी लहर में वायरस फेफड़ों को इंफेक्ट नहीं कर पाया।

पहले दिन में खानी पड़ती थी आठ एंटीबॉयोटिक दवा

कोरोना की पहली लहर में कोरोना का खौफ इस कदर था कि मरीजों को दिन में तीन बार एंटी वायरल व एंटीबॉयोटिक दवा दी जाती थी। चार गोली एंटीबायोटिक खानी पड़ती थी। करीब 10 दिन बाद मरीज रिकवर करता था। 

124 बच्चे बच्चे संक्रमित हुए, सभी घर में आइसोलेट

कोरोना की तीसरी लहर में नवयुवक व बच्चे अधिक संक्रमित हो रहे हैं। पिछले 17 दिन में 124 बच्चे कोरोना की चपेट में आए हैं। बच्चों के लिए सिविल अस्पताल में एचडीयू बनाई गई है। शहर में एक भी मरीज किसी ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड या वेंटिलेटर पर नहीं है।

ऑक्सीजन की कमी से नहीं होगी मौत

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की किल्लत से लोग परेशान हो गए थे, हालांकि इस बार ऑक्सीजन की किल्लत नहीं होगी। सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया है, जिसका ट्रायल हो गया है। इससे एक मिनट में एक हजार लीटर ऑक्सीजन बनेगी।

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