हरियाणा की बड़ी खबरें: मंत्री विज ने शिमला समझौते पर दिया विवादित बयान और पहले से ज्यादा तेज दौड़ेंगे हरियाणा में बने बुलेट प्रूफ वाहन

हरियाणा के पानीपत की परमहंस कुटिया के सामने घेर अराइयां स्थित मकान में बुधवार को चीख पुकार मच गई, जब एक सिरफिरा देव सुनार उर्फ दीपक दोपहर 12 बजे हारट्रोन कंप्यूटर सेंटर संचालक विनोद भराड़ा के घर में घुस गया। जब वह भराड़ा की हत्या कर कमरे से बाहर निकला तो लोगों ने उसे धरदबोचा। उसने पीटने लगे तो वह बोला कि अब चाहे तो उसे गोली मार तो उसका काम हो गया। पति के कमरे में देव सुनार उर्फ दीपक के जाते वक्त उसके हाथ में कट्टा देखकर विनोद की पत्नी निधि घबरा गईं। चिल्लाते हुए बाहर की तरफ भागी।

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज अकसर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। विज ने विजय दिवस पर एक बार फिर एक विवादित ट्वीट किया है। उन्होंने ट्वीट कर शिमला समझौते पर सवाल उठाए हैं। विज ने 1971 भारत पाकिस्तान युद्ध में सैनिकों द्वारा जीती गई जंग को राजनेताओं द्वारा टेबल पर हार बताया है। उन्होंने कहा कि हमारे पास 93 हजार युद्ध बंदी होने के बावजूद कोई बारगेनिंग नहीं की। हम इनको छोड़ने के बदले पीओके ले सकते थे। यह हमारी बहुत बड़ी भूल थी, जिसे आज तक हम भुगत रहे हैं।

खेल व खेती के लिए दुनिया में अपनी खास पहचान रखने वाला हरियाणा अब बुलेट प्रूफ गाड़ियों के लिए भी जाना जाएगा। यहां सेना व पैरामिलिट्री के जवानों के लिए पहले से ज्यादा सुरक्षित व रफ्तार वाले बुलेट प्रूफ वाहन बनाए जाएंगे। यही नहीं, टायर में गोली लगने पर भी वाहन 50 से 100 किलोमीटर तक चलाया जा सकेगा।

पेपर सॉल्वर गैंग की तकनीकी टीम बेहद शातिराना तरीके से पूरे काम को अंजाम देती थी। आरोपी लैब में कंप्यूटरों को डबल स्क्रीन चलाते थे। दूसरी स्क्रीन परीक्षार्थी की होती थी, जिसे हैक किया जाता था। यहीं से सॉल्वर टीम का काम शुरू हो जाता था। आरोपियों ने अलग-अलग राज्यों में अपनी लैब बना रखी थीं। वह कई तरह के पेपर सॉल्व कराते थे।

सफलता के टिप्स: झारखंड में जज बने करनाल निवासी मोहित चौधरी बोले- किस्मत के भरोसे नहीं मिलता मुकाम, मेहनत से भरें ऊंची उड़ान

केवल किस्मत के सहारे बैठे रहने से सफलता नहीं मिलती। मुकाम तक पहुंचने के लिए मेहनत जरूरी है। यह बात हरियाणा के करनाल निवासी एवं वर्तमान में झारखंड के सिविल जज, जूनियर डिविजन (प्रोबेशनरी) मोहित चौधरी ने कही। जिन्होंने 10 साल वकालत करने के साथ-साथ पढ़ाई कर यह सफलता हासिल की। उन्होंने बिना कोचिंग के खुद पढ़ाई करके फरवरी 2020 में जारी हुए झारखंड न्यायिक सेवा के परीक्षा परिणाम में 19वां रैंक पाया था।