सरकार जल्द ही वार्षिक और 15 साल के लिए लाइफटाइम टोल पास लाने की योजना बना रही है, जिससे नियमित यात्रियों को टोल की परेशानियों से राहत मिलेगी। इन पासों की कीमत वार्षिक पास के लिए 3,000 रुपये और लाइफटाइम पास के लिए 30,000 रुपये तय की जा सकती है।
नियमित यात्रियों के लिए बड़ी राहत
अब हाईवे टोल पर बार-बार भुगतान करने की समस्या खत्म हो सकती है। सरकार एक ऐसा सिस्टम लाने की तैयारी कर रही है, जिससे नियमित यात्रियों को एक बार भुगतान करने के बाद सालभर या 15 साल तक टोल चुकाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस योजना के तहत, यात्री दो विकल्प चुन सकते हैं— एक साल का पास 3,000 रुपये में या 15 साल का लाइफटाइम पास 30,000 रुपये में।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय इस प्रस्ताव पर अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मंत्रालय हाईवे टोल दरों को भी कम करने पर विचार कर रहा है, जिससे हाईवे उपयोगकर्ताओं को और राहत मिलेगी।
FASTag के जरिए मिलेगा फायदा
इन वार्षिक और लाइफटाइम टोल पास का लाभ उठाने के लिए किसी अलग से पास की जरूरत नहीं होगी। ये सीधे FASTag में एम्बेड किए जाएंगे, जिससे यात्रियों को अलग से कोई अतिरिक्त पास खरीदने की जरूरत नहीं होगी।
वर्तमान में केवल मासिक पास उपलब्ध है, जिसकी कीमत लगभग 340 रुपये प्रति माह है, यानी वार्षिक रूप से 4,080 रुपये। ऐसे में नया वार्षिक पास इससे सस्ता और अधिक सुविधाजनक होगा।
सस्ती और सुविधाजनक यात्रा का विकल्प
सड़क और परिवहन मंत्रालय नेशनल हाईवे नेटवर्क पर असीमित यात्रा के लिए वार्षिक पास लाने की योजना बना रहा है, जिसकी कीमत केवल 3,000 रुपये होगी। यह मासिक पास की तुलना में अधिक किफायती विकल्प होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी इस तरह के पास लाने की योजना को लेकर पहले ही विचार रख चुके हैं।
टोल प्लाजा पर विवाद कम करने की योजना
सरकार की इस योजना का उद्देश्य केवल यात्रियों को राहत देना ही नहीं, बल्कि टोल प्लाजा पर होने वाली समस्याओं को भी हल करना है। इनमें शहरों की सीमा के अंदर टोल प्लाजा, 60 किमी से कम दूरी पर टोल गेट, और टोल प्लाजा पर हिंसा की घटनाओं को रोकना शामिल है।
व्यावसायिक वाहनों से ज्यादा राजस्व आता है
2023-24 में कुल टोल राजस्व 55,000 करोड़ रुपये था, जिसमें निजी कारों का योगदान मात्र 8,000 करोड़ रुपये था। टोल लेन-देन रिपोर्ट के अनुसार, 53% लेन-देन निजी कारों के थे, लेकिन राजस्व में उनकी हिस्सेदारी केवल 21% थी।
सूत्रों का कहना है कि इस योजना से NHAI को कुछ समय के लिए राजस्व में कमी आ सकती है, लेकिन लंबे समय में इससे कोई नुकसान नहीं होगा। सरकार का लक्ष्य सस्ती, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा सुनिश्चित करना है, जिससे देश में परिवहन व्यवस्था और बेहतर हो सके।