भाजपा के विधायकों और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बाद अब भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने इसको लेकर नाराजगी जताई है। राष्ट्रगीत को लेकर चल रही सियासत (Politics on National Anthem) पर बिफरते हुए राजीव रंजन ने रविवार को जारी बयान में कहा कि बात-बात में वंदे मातरम और जन-गण-मन का अपमान आजकल नकली सेक्युलरों के लिए फैशन बन गया है। राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान इस देश की अस्मिता का प्रतीक है। देश के टुकड़े करने का ख्वाब देखने वाले कुछ जिन्नावादी और जेहादी मानसिकता के लोगों को इससे एलर्जी होना स्वाभाविक है। इससे चंद वोटों के लिए उनकी धुन पर नाचने वाले जयचंदों की भी पहचान हो जाती है।
सभी धर्मों के लोग थे आजादी के दीवाने
रंजन ने कहा कि राष्ट्रगान का अपमान उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है, जिन्होंने इससे प्रेरणा लेकर अपने प्राण देश पर कुर्बान कर दिए। आजादी के उन दीवानों में सभी धर्मों के लोग शामिल थे, लेकिन कभी भी राष्ट्रप्रेम के प्रदर्शन से उनका धर्म आहत नहीं हुआ। आज जो लोग संविधान की दुहाई देते हुए राष्ट्रगान से इंकार कर रहे हैं, वे बताएं कि संविधान तो शेरवानी पहनने, अरबी नाम और दाढ़ी रखने के लिए भी नहीं कहता। तो फिर वह इन्हें भी क्यों नहीं छोड़ देते?
जदयू नेता ने किया था ओवैसी के विधायकों का समर्थन
जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने अख्तरुल इमान का समर्थन किया था। उन्होंने हा था कि गीत गाना राष्ट्रभक्ति नहीं है। राष्ट्रभक्ति है अपनी ड्यूटी करना। जबरन किसी पर इसे थोपा नहीं जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि जन गण मन तो सभी को याद है लेकिन राष्ट्रगीत नहीं।