दूसरे नवरात्रे के दिन दुर्गा माता ब्रह्मचारिणी माँ के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है तप का आचरण करने वाली। इनका का स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से आत्मविश्वसा, बुद्धि, संयम में वृद्धि होती है।मां ब्रह्मचारिणी अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं। कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से धैर्य प्राप्त होता है और मनुष्य कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्त्तव्य से विचलित नहीं होता है। इनकी पूजा से मनुष्य को जीवन में विजय की प्राप्ति होती है। इसलिए माँ का ध्यान मन से लगाना चाहिए। और माँ की आरती करे।
मां ब्रह्मचारिणी मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।का जाप करे।