देश की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ बनाने के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक

लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन (एलएमए) और इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को राजधानी में ‘एवोक इंडिया’ के तहत इंडिया फाइनेंशियल लिटरेसी कॉन्क्लेव-2021 का आयोजन किया गया। होटल हिल्टन गार्डेन इन, गोमतीनगर में आयोजित कार्यक्रम की थीम ‘आर्थिक :सशक्तिकरण में मजबूती’रही। समारोह का उदघाटन मुख्य अतिथि आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक आर लक्ष्मी कांथ राव ने किया। उन्होंने उद्घाटन भाषण में में वित्तीय साक्षरता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वित्तीय साक्षरता सरकार एवं रिजर्व बैंक दोनों की नीतिगत प्राथमिकता में उत्तर प्रदेश में सिर्फ 21 प्रतिशत लोग ही वित्तीय रुप से साक्षर हैं जो कि राष्ट्रीय औसत 27 प्रतिशत से काफी कम है इसलिए हमें इस दिशा में और कार्य करने की आवश्यकता है।

‘एवोक इंडिया’ के तहत इंडिया इंडिया फाइनेंशियल लिटरेसी कॉन्क्लेव-2021

कार्यक्रम में आर्थिक सशक्तिकरण की वृद्धि विषय पर उत्कृष्ट कार्य करने वाली 03 विभूतियों को वार्षिक फाइंनेंसिल इंक्लूजन एंड लिटरेसी लिडरसिप अवार्डस से सम्मानित किया गया। इस बीच एवोक इंडिया जरनल एवं सोविनयर का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में अपर मुख्य सचिव सूक्ष्म, लघु तथा माध्यम उद्योग एवं निर्यात प्रोत्साहन डॉ. नवनीत सहगल और अपर मुख्य सचिव कृषि शिक्षा एवं शोध देवेश चतुर्वेदी और पूर्व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश अलोक रंजन रहे। इस अवसर पर पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा वित्तीय साक्षरता द्वारा ही देश से गरीबी को दूर किया जा सकता है और इसके लिये एवोक इण्डिया को और प्रयास करने चाहिये। आईआईए के अध्यक्ष अशोक कुमार अग्रवाल ने कहा ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बैंको में लम्बी लाइन लगती है और ग्राहकों को सुविधाएं नहीं मिलती है जिस दिशा में और कार्य करने चाहिए। राजीव प्रधान, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे।

-यूपी में युवाओं, महिलाओं में वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए देश भर से आई विभूतियों ने दिया जोर

कॉन्क्लेव का उदघाटन आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक आर लक्ष्मी कांथ राव ने किया, चर्चा में 30 विशेषज्ञों ने लिया हिस्सा

सुबह 11.15 से 12.15 बजे के बीच समाज में आर्थिक सशक्तीकरण से मजबूती हासिल करने वाली 5 महिलाओं के सत्र हुआ। जिसकी अध्यक्षता एकेटीयू के फैकल्टी ऑफ आर्कीटेक्चर एण्ड प्लानिंग की प्रधानाचार्य और डीन डॉ. वन्दना सहगल रहीं। सत्र के प्रमुख वक्ताओं में फिनफक्स रिसर्च एण्ड एनेलेयटेक्स प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ की संस्थापक प्रबनीन बाजपेई, कॉन्सेप्ट कम्युनिकेशन मुम्बई की वाइस प्रेसीडेंट नेहा सिंह, अर्थ विप्रा फिनवेस्ट प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. दीप्ती द्विवेदी और कॉरपोरेट सेकेट्रियल ऑफ नौमूरा मुम्बई की अध्यक्ष तृत्ति कपाडिया रहीं। कार्यक्रम में 5 महत्वपूर्ण विषयों महिला सशक्तिकरण, युवा, सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योग एवं स्टार्टअप, कृषि एवं बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं तथा बीमा क्षेत्र पर आयोजित पैनल चर्चा के विषय पर चर्चा हुयी।

-अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल, अपर प्रमुख सचिव देवेश चर्तुवेदी और पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन रहे उपस्थित

यूपी की जीएसडीपी 6 महीनों में 19 प्रतिशत बढ़ी : डॉ. नवनीत सहगल

सूक्ष्म एवं लघु उद्योग पैनल चर्चा में एसीएस – एमएसएमई, खादी और ग्रामोद्योग, सूचना डॉ. नवनीत सहगल ने साझा किया कि कोविड के समय में एमएसएमई को मजबूत करने के लिए सरकार ने 35 हजार करोड़ आवंटित किए हैं। हमारे पास लगभग 2016-2017 में 9 मिलियन एमएसएमई थे जो कि बढ़कर 70 मिलियन हुआ है, जिन्हें सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त हुई एवं एमएसएमई और स्टार्टअप्स को लगभग 16 हजार करोड़ का ऋण प्रदान किया गया है साथ ही बताया कि यूपी की जीएसडीपी पिछले 6 महीनों में 19% बढ़ी है। श्री सहगल ने कॉन्क्लेव के दौरान यूपी इंडस्ट्रियल्स और बीएसई एसएमई के साथ गठजोड़ की घोषणा की है।

कार्यक्रम में चुने गये 03 विजेताओं को वार्षिक वित्तीय समावेशन और साक्षरता नेतृत्व पुरस्कार प्रदान किए गये

वक्ताओं ने युवाओं को वित्तीय साक्षरता प्रदान करने पर दिया बल

युवाओं के लिए आयोजित पैनल चर्चा में सेबी ईडी जी पी गर्ग ने कहा कि सेबी निवेशक संरक्षण काम कर रहा है और मुझे लगता है कि वित्तीय साक्षरता महत्वपूर्ण है और हमें इसे बढ़ाने के लिए युवाओं को शिक्षित करना शुरू करना चाहिए। केवल 16% के पास अपने वित्त के लिए कार्य योजना और लक्ष्य है जो कि बहुत कम हैं। सीनियर प्रेसिडेंट सुरेश शुक्ला ने बताया कि 2 वर्ष पहले मात्र 4-5 लाख प्रतिमाह डिमेट खाते खुलते थे जो कि अब बढ़कर 35 लाख प्रतिमाह हो चुके है। मैं समझता हूं कि यदि हम इसे तरह के प्रोगाम करते रहे और जमीनीस्तर पर वित्तीय साक्षरता पर कार्य करें तो हम अपनी देश की वित्तीय स्तर को बढ़ा सकते है।

पैनल चर्चा के लिये भारत के 30 से अधिक पैनलिस्ट महिलाओं, युवाओं, किसानों, एमएसएमई, स्टार्टअप्स विशेषज्ञों ने लिया हिस्सा