गृह मंत्री अमित शाह ने संसद टीवी को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘ये सभी लोग जो हम पर आरोप लगा रहे हैं, ये आरोप निराधार हैं. मैंने मोदी जी जैसा श्रोता नहीं देखा है. अगर किसी समस्या के लिए बैठक होती है, तो वह कम बात करते हैं और धैर्यपूर्वक सबकी सुनते हैं और फिर निर्णय लेते हैं. हम अक्सर सोचते हैं कि ‘इतना सोचने के लिए क्या है? वह 2-3 बैठकों के बाद धैर्यपूर्वक निर्णय लेते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हर व्यक्ति के सुझाव को उसकी गुणवत्ता के आधार पर महत्व दिया जाता है, न कि वह व्यक्ति कौन है इसके आधार पर. इसलिए यह कहना कि वह प्रधानमंत्री के रूप में अपने फैसले थोपते हैं, बिल्कुल भी सच नहीं है. जिसने भी उनके साथ काम किया है, यहां तक कि आलोचक भी इससे सहमत होंगे कि कैबिनेट ने कभी इतने लोकतांत्रिक तरीके से काम नहीं किया.’
गुजरात से पीएम मोदी और अमित शाह, दोनों ने अपने शुरुआती दिनों से ही बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या आरएसएस में मिलकर काम किया है.
अमित शाह ने किसानों के विरोध पर पीएम मोदी का बचाव करते हुए कहा कि पिछले साल पेश किए गए कानूनों के बारे में उनकी चिंताएं निराधार थीं और बीजेपी सरकार ने किसानों की मदद के लिए बड़े कदम उठाए थे.
उन्होंने कहा, ”कुल मिलाकर 11 करोड़ किसानों को सालाना 6,000 रुपये मिल रहे हैं. एक साल के भीतर 1.5 लाख करोड़ रुपये किसानों को दिए गए हैं. कुछ समय पहले यूपीए सरकार ने 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था. 60,000 करोड़ रुपये बैंक में वापस आए लेकिन किसानों को कुछ नहीं मिला. 1.5 लाख करोड़ की यह धनराशि सीधे किसानों के पास जा रही है और कोई बैंक कर्ज शामिल नहीं है.