
विधानसभा का मानसून सत्र जारी है। हर जिले में कोई न कोई समस्या ऐसी है जो लंबे समय से स्थानीय लोगों के अलावा बाहर से आने वालों के लिए भी नासूर बनी हुई है। उत्तराखंड में आम आदमी की अपेक्षा है कि मानसून सत्र में विधायक अपने जिले की प्रमुख समस्याओं को विधानसभा में दमदारी से उठाएं। लेकिन ऐसा तब होगा जब सदन में सार्थक चर्चा होगी। बहस का माहौल बनेगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो जन आकांक्षाओं की उपेक्षा होगी
एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार अगर इसी गति से दून की सड़कों पर यातायात का दबाव बढ़ता रहा और सड़कों का विस्तार व वैकल्पिक-नई सड़कों का निर्माण नहीं हुआ तो 2025 तक शहर में पैदल चलने में भी दिक्कत होने लगेगी। यही नहीं, ट्रैफिक पुलिस भी इस समस्या को लगातार विकराल होते देख रही है। शहर के लिए इतना अहम मुद्दा होने के बावजूद यह विधानसभा में चर्चा का विषय नहीं बन पाया है।
विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगरी में आबादी के साथ वाहनों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। पर्व स्नान पर हरिद्वार की सड़कों पर वाहन रेंगते हैं। वाहनों को खड़ा करने के लिए पार्किंग नहीं मिलती है। हरकी पैड़ी के नजदीक सीसीआर टॉवर के सामने पंडित दीन दयाल उपाध्याय पार्किंग है। पार्किंग सामान्य दिनों में ही फुल रहती है। हरकी पैड़ी पहुंचने वाले श्रद्धालु अपने वाहनों को पार्किंग में खड़े करते हैं। पर्व स्नान अथवा मेलों पर भीड़ उमड़ने से पार्किंग में जगह नहीं मिलती है
लेकिन बंदर, लंगूर, जंगली सुअर फसलों को नष्ट कर देते हैं, जिससे काश्तकारों का खेती से मोह भंग होता जा रहा है। ग्रामीण कई बार जंगली जानवरों से निजात दिलाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही
पुल अभी तक नहीं बन पाया है। तिलोथ पुल चारधाम यात्रा के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह उत्तरकाशी से केदारनाथ मार्ग को भी जोड़ता है। पुल निर्माण न होने से केदारनाथ जाने वाले वाहनों को चार किमी का अतिरिक्त सफर करना पड़ता है। साथ अव्यवस्था भी होती है। तिलोथ पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2015 में शुुुरू हुआ था, लेकिन छह साल में इसके पिल्लर तक नहीं बन पाए हैं। पुल निर्माण न होने से तिलोथ सहित बाड़ागड्डी पट्टी के मांडो, जसपुर, थलन, मानपुर, धनपुर, किशनपुर, अलेथ आदि गांवों को जनपद मुख्यालय तक पहुंचने के लिए बड़ेथी-तेखला और मनेरा बाईपास होते हुए आना पड़ता है। प्रधान संगठन के प्रदेश महामंत्री प्रताप सिंह रावत ने कहा कि तिलोथ पुल निर्माण मामला विधानसभा सत्र में उठाया जाना चाहिए।
साथ ही करोड़ों की पेयजल योजनाएं वर्षों बाद भी नहीं बन पाई हैं। इस कारण लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। रुद्रप्रयाग नगर क्षेत्र को पुनाड़ गदेरा से पेयजल सप्लाई हो रही है लेकिन निर्माण के बाद से पुनर्गठन नहीं हो पाया है। इस कारण 20 हजार आबादी को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। यही नहीं, हल्की बारिश में योजना से दूषित पानी की सप्लाई होना आम बात है। वहीं, भरदार, सिलगढ़, तल्लानागपुर, बच्छणस्यूं, धनपुर, रानीगढ़ समेत ऊखीमठ और गुप्तकाशी के 35 फीसदी गांवों को राज्य निर्माण के 21 वर्ष बाद भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया है।