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आशा वर्कर्स का नहीं थमा गुस्सा, 16 वें दिन हड़ताल जारी रख कहीं ये बातें

मासिक वेतन, पेंशन और सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने समेत बारह सूत्रीय मांगों को लेकर आशा वर्करों की हड़ताल 16 वें दिन भी जारी रही। आशाओं ने सरकार से तुरंत उनकी मांगों का समाधान निकालने की मांगी की है। मंगलवार को हड़ताल के सोलहवें दिन ऐक्टू से सम्बद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने कहा कि, “पहले केंद्र और उत्तराखण्ड की राज्य सरकार द्वारा लंबे समय तक आशाओं का सेवा के नाम पर शोषण किया गया और जब आशाएँ जागृत हो गई तो उनको प्रोत्साहन राशि के नाम पर छलने की कोशिशें चल रही हैं। 

महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “आशाएँ और कुछ नहीं केवल अपनी मेहनत का दाम चाहती हैं जो कि उनका वाजिब और संविधान प्रदत्त हक है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी सभी कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन दिए जाने को जरूरी बताया है तब सरकार आशाओं को उनके श्रम का उचित मूल्य क्यों नहीं देना चाहती ? यह महिला श्रम का शोषण नहीं तो और क्या है?।

आशाओं ने उनकी सभी मांगों पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है। इस दौरान महानगर अध्यक्ष रिंकी जोशी, मनीषा आर्य, भगवती बिष्ट, रेखा पलड़िया, अनुराधा, शांति शर्मा, दमयंती, रेनू घुगत्याल, कमरुन्निशा, गोविंदी, ममता, कमला, राधा, सुनीता, गीता, बसंती, कमलेश, हेमा, उमा, भगवती, हंसी, लता, अनीता, भावना, सीमा आर्य, विमला, खष्टी, मीना, माया, खीमा, शकुंतला, प्रेमा, नसीमा, पुष्पा, प्रियंका, आनंदी आदि मौजूद रहे।