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वनटांगिया अब मोदी के मेहमान, योगी ने दिलाई पहचान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिन वनटांगिया गांवों को पहचान दिलाई, उनका सम्मान अब दिल्ली में होगा। वनटांगिया गांव तिकोनिया नंबर तीन निवासी रामगणेश स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय समारोह में विशेष अतिथि होंगे। उन्हें समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।

रामगणेश इस स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली में होने वाले राष्ट्रीय समारोह में बतौर विशेष अतिथि शामिल होंगे। समारोह में उत्तर प्रदेश से 10 लोगों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है। वनटांगिया रामगणेश को साथ लेकर तहसीलदार चौरीचौरा शुक्रवार को रवाना होंगे।

आजादी के बाद 70 वर्षों तक उपेक्षित रहे वनटांगियों को सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहचान दिलाई। अंग्रेजी हुकूमत में 1918 के आसपास साखू के जंगलों को लगाने वाले इन लोगों के नाम आजाद भारत में भी राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं थे। वर्ष 2017 में योगी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर उन्हें अधिकार दिलाया। उन्हें समाज और विकास की मुख्यधारा से जोड़ा। जंगल में बसी वनटांगिया बस्तियों में शहर सरीखी सुविधाओं की सौगात दी। यही वजह है कि वनटांगिया गांवों में सीएम योगी की पहचान महाराज जी के रूप में है तो यहां के बच्चों के लिए वे टॉफी वाले बाबा हैं।

वनटांगिया गांवों में खुशी की लहर

स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित होने की सूचना मिलते ही वनटांगिया गांव तिकोनिया नंबर तीन के रामगणेश की खुशी का ठिकाना नहीं है। इसके लिए वे बार-बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति आभार जता रहे हैं। वे कहते हैं कि उन लोगों पर बाबाजी की नजर नहीं पड़ी होती तो जंगलों में ही मरते-खपते रह जाते। रामगणेश का कहना है कि 100 साल तक बीच जंगल मे उपेक्षित रहे वनग्रामों के निवासियों को समाज व विकास की मुख्यधारा में लाने का श्रेय सीएम योगी को ही है।

सांसद रहते ही योगी का रहा वनटांगियों से लगाव

वनटांगिया समुदाय के लोगों के प्रति योगी का विशेष लगाव रहा है। बतौर सांसद उन्होंने वनटांगियों की बदहाली दूर करने के लिए निजी तौर पर शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की पहल की। सांसद के रूप में उनके बीच ही दिवाली मनाना शुरू किया जो उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद भी जारी है।

सीएम बनते ही योगी ने बदल दी वनटांगिया गांवों की दशा

2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से तो उन्होंने वनटांगिया गांवों की दशा ही बदल दी है। गोरखपुर के कुसम्ही जंगल के तिकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा के जो वनटांगिया आजादी के 70 साल बाद तक बुनियादी सुविधाओं को तरसते थे, आज शहर सरीखी सुविधाओं के बीच बदलाव की कहानी लिख रहे हैं।

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