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भारत को मिला दुनिया का सबसे घातक हेलीकॉप्टर अपाचे, US समेत कई देशों ने माना इसका लोहा

नई दिल्‍ली । IAF Apache Guardian helicopter: कुछ दिन पहले चिनूक और अब अपाचे। भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल इन दोनों लड़ाकू हेलीकॉप्टरों ने दुर्गम स्थानों पर भी इसकी मारक क्षमता में कई गुना वृद्धि की है। तमाम खूबियों वाला अपाचे दुनिया की कई ताकतवर सेनाओं के जखीरे में शामिल है। अपाचे हेलीकॉप्टर को भारतीय वायुसेना की भविष्य की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है और यह पर्वतीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण क्षमता प्रदान करेगा। अपाचे को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने इस तरह डिजाइन किया है कि यह दुश्मन की किलेबंदी को भेद कर उस पर सटीक हमला करने में सक्षम है। 

क्या खास है अपाचे में  

अचूक निशाना
इसका निशाना बहुत सटीक है। जिसका सबसे बड़ा फायदा युद्ध क्षेत्र में होता है, जहां दुश्मन पर निशाना लगाते वक्त आम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचता है

कंपनी ने दो हजार से ज्यादा हेलीकॉप्टर बेचे
जनवरी, 1984 में बोइंग कंपनी ने अमेरिकी फौज को पहला अपाचे हेलीकॉप्टर सौंपा था। तब इस मॉडल का नाम था एच-64ए। तब से लेकर अब तक बोइंग 2,200 से ज्यादा अपाचे हेलीकॉप्टर बेच चुकी है। भारत से पहले इस कंपनी ने अमेरिकी फौज के जरिये मिस्न, ग्रीस, इंडोनेशिया, इजरायल, जापान, क़ुवैत, नीदरलैंड, कतर, सऊदी अरब और सिंगापुर को अपाचे हेलीकॉप्टर बेचे हैं।

पायलट को चाहिए विशेष ट्रेनिंग
पांच साल तक अफगानिस्तान के संवेदनशील इलाकों में अपाचे हेलीकॉप्टर उड़ा चुके ब्रिटेन की वायु सेना में पायलट एड मैकी के मुताबिक, किसी नए पायलट को इस हेलीकॉप्टर उड़ाने के लिए कड़ी और एक लंबी ट्रेनिंग लेनी होती है, जिसमें काफी खर्च आता है। सेना को एक पायलट की ट्रेनिंग के लिए 30 लाख डॉलर तक भी खर्च करने पड़ सकते हैं। बतौर मैकी इसे कंट्रोल करना बड़ा मुश्किल है। दो पायलट मिलकर इसे उड़ाते हैं। मुख्य पायलट पीछे बैठता है। उसकी सीट थोड़ी ऊंची होती है। वह हेलीकॉप्टर को कंट्रोल करता है। आगे बैठा दूसरा पायलट निशाना लगाता है और फायर करता है। इस पर अपना हाथ साधने के लिए पायलट एड मैकी को 18 महीने तक ट्रेनिंग करनी पड़ी थी।