वेब सीरीज का चस्का दिल्ली-NCR के युवाओं को बना रहा बीमार, जानें वेब एडिक्शन के बारे में सबकुछ

ऑनलाइन वेब सीरीज का चस्का दिल्ली-एनसीआर के युवाओं को बीमार बना रहा है। इन सीरीज को देखने के लिए युवा घंटों तक मोबाइल से चिपके रहते हैं। नतीजतन, वे अवसाद और भूलने जैसी बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। इतना ही नहीं, वेब सीरीज इंटरनेट के एडिक्शन का तीसरा बड़ा कारण बन गया है। हिन्दुस्तान टीम की रिपोर्ट…

दिल्ली: एम्स में बढ़ रहे ऐसे मरीज
एम्स के एसोसिएट प्रो. यतन पाल सिंह बलहारा के मुताबिक, युवाओं और किशोरों में इंटरनेट की लत लगने का सबसे बड़ी वजह गेमिंग है। इसके बाद सोशल मीडिया और तीसरे नंबर पर वेब सीरीज हैं। पहले इसे वेब एडिक्शन का कारण नहीं माना जाता था, लेकिन हाल ही में इस संबंध में रिसर्च प्रकाशित हुई है। इसमें वेब सीरीज को इंटरनेट की लत लगने की तीसरी बड़ी वजह मानी गई है। उन्होंने बताया कि एम्स में हम इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं।

वहीं, इबहास में एसोसिएट प्रो. ओमप्रकाश के मुताबिक, वेब सीरीज देखने की आदत बिहेवियर एडिक्शन का हिस्सा है। 15 से 30 वर्ष के युवा इसके ज्यादा शिकार हो रहे हैं। यह एक नशे की तरह है। जब तक इसके शिकार पूरी सीरीज नहीं देख लेते, उनका मन किसी दूसरे काम में नहीं लगता। इसकी वजह से वह अवसाद, भूलने, चिंता, डर आदि से ग्रस्त हो जाते हैं।

नोएडा : छह माह से मरीजों की संख्या दोगुनी 
वेब एडिक्शन शहर के किशोर और युवाओं की सेहत बिगाड़ रहा है। बीते छह माह से ऐसे मरीजों की संख्या अस्पतालों में दोगुनी हो गई है। मनोचिकित्सक इसे शारीरिक, समाजिक और पारिवारिक स्तर पर गंभीर समस्या बता रहे हैं। फोर्टिस अस्पताल में हर माह वेब एडिक्शन 8-10 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। छह माह पहले ऐसे मरीजों की संख्या सिर्फ 4-5 थी। जेपी, कैलाश सहित अन्य अस्पतालों में भी प्रतिमाह 10-12 ऐसे मरीज आ रहे हैं।

मेट्रो अस्पताल की मनोचिकित्सक अवनी तिवारी के मुताबिक, दो-तीन माह पहले तक वेब सीरीज देखने के बाद हुई परेशानी के मरीज न के बराबर थे, लेकिन अब हर माहे तीन ऐसे मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मैं एक ऐसे मरीज का इलाज कर रही हूं, जो वेब सीरीज देखने के चक्कर में करीब दो दिन तक घर से बाहर ही नहीं निकला। किशोर और युवाओं को इस लत से बचना चाहिए, वरना भविष्य में कई मानसिक बीमारियां हो सकती हैं।

गुरुग्राम: किशोरों में चिड़चिड़ापन आ रहा
मिलेनियम सिटी में भी बच्चों और युवाओं में मोबाइल या इंटरनेट से चिपके रहने की शिकायतें सामने आ रही हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, यह एक प्रकार का गंभीर डिसआर्डर है। फोर्टिस हेल्थकेयर में मानसिक स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख डॉ. समीर पारिख के अनुसार, इंटरनेट से चिपके रहने के कारणों में वेब सीरीज व गेमिंग शामिल हैं। इसके ज्यादा इस्तेमाल से बच्चे खासकर किशार प्री-ऑक्युपाइड हो जाते हैं। ऐसे स्थिति में वे अपने पहले के क्रियाकलापों से दूर हो जाते हैं। इससे किशोरों में चिड़चिड़ापन आ जाता है। वे सामाजिक तौर पर अलग-थलग पड़ जाते हैं। ऐसा देखा गया कि ऐसे किशोर उदास रहन लगते हैं।

मेदांता में न्यूरोसाइक्रिट्री में डॉ. सौरभ मेहरोत्रा के मुताबिक, प्रतिदिन ओपीडी में दो से तीन मामले ऐसे सामने आते हैं। बच्चों को वेब एडिक्शन नहीं हो इसके लिए माता-पिता की जिम्मेदारी अहम है। वे बच्चे को समय दें। साथ ही, आउटडोर क्रियाकलाप बढ़ाएं और बच्चे पर नजर भी रखें।

गाजियाबाद : युवाओं से ज्यादा बच्चे गिरफ्त में
गाजियाबाद में एम्स का नशा मुक्ति केंद्र है। यहां पर मरीजों को हर प्रकार के नशे से छुड़ाया जाता है। इन्हीं नशों में शामिल है वेब एडिक्शन। यहां पर वेब एडिक्शन के 50 से ज्यादा मरीज अपना इलाज करा रहे हैं। सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि वेब एडिक्शन के पीड़ित मरीजों में युवाओं से ज्यादा बच्चों की संख्या है। इन बच्चों की उम्र 10 से 16 साल है। बच्चों के अभिभावक खुद बच्चों को लेकर यहां पर आ रहे हैं। वहीं, युवा यहां पर इलाज के लिए खुद ही आ रहे हैं। यहां पर विशेषज्ञ मरीजों की काउंसलिंग कर उनकी वेब एडिक्शन की लत छुड़ाने की कोशिश रहे हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो यह एक ऐसा नशा है जो लोगों को बहुत ही तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। इसके शिकार बच्चों से लेकर युवा और बड़े बुजुर्ग भी हैं, लेकिन बच्चों और युवाओं की संख्या ज्यादा है। काउंसलिंग के जरिए और इसके नुकसान को बताकर इस नशे को छुड़ाया जाता है। इसमें छह महीने से ज्यादा का समय लगता है।

फरीदाबाद: गंभीर मरीजों की संख्या भी बढ़ी
स्मार्ट सिटी में वेब एडिक्शन के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। छह महीने की तुलना में इनमें तीन से चार गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इनमें किशोर और युवाओं की संख्या ज्यादा है। डॉक्टरों के मुताबिक, अब तो वेब एडिक्शन के गंभीर मरीज भी अस्पताल पहुंचने लगे हैं। काफी मामले ऐसे भी हैं जहां मरीज खुद को बीमार नहीं मानता, लेकिन उनके परिवार वाले दवा के लिए निरंतर डॉक्टरों के साथ तालमेल बनाए रहते है।

सर्वोदय अस्पताल के डॉ. सुनील राणा ने बताया कि यहां पर वेब एडिक्शन के प्रति महीने करीब नौ मरीज आ रहे हैं। इनमें ज्यादातर किशोर और युवा हैं। छह महीने पहले यह संख्या सिर्फ दो से तीन होती थी। वहीं, एशियन अस्पताल की डॉ. मीनाक्षी के मुताबिक, शहर में वेब एडिक्शन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। प्रत्येक महीने औसतन 20 मरीज आ रहे हैं, जबकि छह महीने पहले इनकी संख्या दो से चार के बीच होती थी। वहीं, अब इस लत के गंभीर मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है।

आंकड़े
– 20 फीसदी मामले इंटरनेट एडिक्शन के वेब सीरीज से जुड़े हैं
– 15 से 30 वर्षीय उम्र के लोग इसका ज्यादा शिकार हो रहे

क्या है वेब एडिक्शन
दिन में या फिर रात में देर तक अकेले बैठकर अपने मोबाइल या लैपटॉप पर फिल्म या सीरियल देखना, सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपनी स्थिति अपडेट करना और किसी के साथ चैट करने में लगातार व्यस्त रहना आदि। विशेषज्ञों के मुताबिक यही वेब एडिक्शन है।

लगातार चलती हैं वेब सीरीज
विशेषज्ञों के अनुसार, कई वेब सीरीज लगातार चलती हैं। इससे इन्हें देखने वाला अपने सभी काम छोड़कर उसी में लग जाता है। वहीं, वेब एडिक्शन से पीड़ित ऑफिस में भी उन्हीं कार्यक्रमों के बारे में सोचता रहता है। इससे उनका काम प्रभावित होता है। कई युवा ऐसे भी हैं जो छुट्टी के दिन ज्यादातर समय वेब सीरीज देखने में बिताते हैं।

नुकसान
– अवसाद, चिड़चिड़ापन, एक्यूट साइकोसिस
– नींद न आना, शारीरिक कमजोरी
– सामाजिक और पारिवारिक समस्याएं, अलगाव
– मोटापा, मानसिक बीमारियां
– पढ़ने में मन न लगना, हमेशा वेब सीरीज के चरित्रों के बारे में सोचना

ऐसे बचाव करें
– वेब सीरीज या अन्य कार्यक्रम देखने के  लिए प्रत्येक एक घंटे के बाद आधे घंटे का आराम लें
– देर रात तक इसे देखने से बचें, मोबाइल बेड पर लेकर न सोएं
– वेब सीरीज या इंटरनेट पर उपलब्ध कार्यक्रम 3-4 घंटे से अधिक न देखें
– आठ घंटे की नींद जरूरी, इससे कम होने पर कई तरह की मानसिक बीमारी हो सकती है
– मन को शांत करने के लिए योग करें