जम्मू-कश्मीर में बुधवार से राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा। राज्यपाल की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने सोमवार को ही राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी थी। अब इस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मुहर लगनी बाकी है। माना जा रहा है कि बुधवार को किसी भी वक्त राष्ट्रपति शासन की घोषणा हो सकती है। इससे पहले साल 1990 से अक्टूबर 1996 तक जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन रहा था।
राष्ट्रपति शासन लागू हो जाने के बाद राज्यपाल की सारी विधायी शक्तियां संसद के पास चली जाएंगी। अब कानून बनाने का अधिकार संसद के पास होगा। नियमानुसार राष्ट्रपति शासन में बजट भी संसद से ही पास होता है। इस वजह से राज्यपाल शासन में ही लगभग 89 हजार करोड़ रुपये का बजट पास करा लिया गया। राज्यपाल शासन में कानून बनाने तथा बजट पास करने का अधिकार राज्यपाल के पास होता है। राष्ट्रपति शासन में अब राज्यपाल अपनी मर्जी से नीतिगत और संवैधानिक फैसले नहीं कर पाएंगे। इसके लिए उन्हें केंद्र से अनुमति लेनी होगी।
भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद जून में महबूबा मुफ्ती सरकार गिर गई थी। राज्यपाल शासन की अवधि 19 दिसंबर को समाप्त हो रही है। इस दौरान पिछले महीने कांग्रेस और नेकां के समर्थन से पीडीपी और सज्जाद लोन ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाने का प्रयास किया था। इस पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सरकार गठन के लिए खरीद-फरोख्त और सरकार के स्थिर न होने का हवाला देते हुए 21 नवंबर को विधानसभा भंग कर दी थी।