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जामनगर में आर्थिक तंगी के चलते किसान ने आत्महत्या की

अहमदाबाद। गुजरात सरकार ने चारा व पानी की तंगी को देखते हुए अकालग्रस्त गांवों की संख्या बढ़ाते हुए इन गांवों तक पानी व चारा पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है। सरकार ने सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नहर में छोड़े जा रहे 6000 क्यूसेक पानी की मात्रा को 31 अक्टूबर तक 12 हजार क्यूसेक कर दिया है। उधर, कच्छ से पशुपालक पलायन कर शहरों में आने लगे हैं।

उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने भावनगर के चार दर्जन से अधिक गांवों को और अकालग्रस्त घोषित किया है। उन्होंने कहा कि सरदार सरोवर बांध से नर्मदा नहर में फिलहाल 6 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, लेकिन आगामी 31 अक्टूबर तक इसे बढ़ाकर 12 हजार क्यूसेक किया जा रहा है, ताकि अधिक खेत व पशुओं तक पानी पहुंचाया जा सके। नितिन पटेल ने बताया कि सरदार सरोवर बांध में 128 मीटर जलस्तर बना हुआ है तथा 21 हजार क्यूसेक पानी की आवक है जबकि नहर में अभी 6 हजार क्यूसेक छोडा जा रहा है, पांच दिन के लिए नहरों में इससे दो गुना पानी छोड़ा जाएगा।

इसी बीच, जामनगर के वावडी गांव में एक किसान ने गले में फंदा डालकर फांसी लगा ली। फसल खराब होने के कारण आर्थिक तंगी के चलते 45 वर्षीय किसान ने आत्महत्या कर ली। घटना के तुरंत बाद मौके पर पहुंचे पुलिस उपाधीक्षक ने जांचके बाद कहा कि किसान ने ग्रह क्लेश से तंग आकर आत्महत्या की है। उधर, कच्छ में चारा व पानी के संकट को देखते हुए सैकडों मवेशियों को लेकर किसान व पशुपालक शहरों की ओर आने लगे हैं। कच्छ के बन्नी प्रदेश से कई पशुपालक अहमदाबाद के साणंद में आकर डेरा डाले हुए हैं। गांव वालों ने उन्हें चारा व पानी मुहैया कराया है, लेकिन उनका कहना है कि पलायन करने वालों को सरकार को मदद करनी चाहिए, गांव में उनके पास 13 दिन का ही चारा उपलब्ध है।