Site icon Overlook

3 तलाक पर अब 2 साल की जेल, ये नए प्रावधान हुए लागू

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को बहुचर्चित तीन तलाक के मुद्दे पर अध्यादेश पारित कर दिया है. पिछले दो सत्रों से राज्यसभा में तीन तलाक बिल अटक रहा था, जिसके बाद मोदी कैबिनेट ने इस पर अध्यादेश लाने का फैसला किया. कांग्रेस समेत विपक्ष की कई पार्टियों ने तीन तलाक बिल में संशोधन की बात कही थी, जिसके बाद संशोधन भी हुआ. हालांकि, अध्यादेश पारित होने के बाद भी विपक्ष ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार को निशाने पर लिया.

संशोधन के बाद तीन तलाक बिल में कई तरह के बदलाव किए गए हैं, जिनमें महिला को अधिक अधिकार दिए गए हैं. नए बिल में किस तरह के बदलाव किए गए हैं, यहां समझें…

1. ज़मानत पर क्या होगा?

अध्यादेश के अनुसार, अब पति को ज़मानत मिलना इतना आसान नहीं होगा. जब मजिस्ट्रेट पत्नी का पक्ष नहीं सुन लेता तब तक शौहर को ज़मानत नहीं मिलेगी.

2. क्या हो पाएगा समझौता?

अब दोनों पक्षों के बीच समझौता पत्नी की पहल पर ही हो सकता है. यानी एक बार मामला अदालत पहुंचेगा तो अदालती समझौता ही होगा. अगर मामला सामने आने के बाद शौहर सुलह करना चाहता है, तो पत्नी का भी मानना ज़रूरी होगा.

3. नाबालिग बच्चे का क्या होगा?

अगर तलाक के समय पति-पत्नी का कोई नाबालिग बच्चा है, तब तक बच्चे मां के पास ही रहेंगे. और कोर्ट के आदेश पर पति को महिला और बच्चे को गुज़ारा भत्ता देना होगा.

4. मुआवज़े का क्या होगा?

अगर पति ज़मानत की अपील करता है तो उसे ज़मानत तभी मिलेगी जब वह पत्नी को मुआवज़ा देने की बात कहेगा. और मुआवज़े की राशि कितनी होगी, इसका फैसला मजिस्ट्रेट ही करेंगे.

5. क्या पुराने केस पर लागू होगा कानून?

अगर शौहर पर कोई इसी तरह का मामला पहले से चल रहा है, तो ये नए प्रावधान उसपर लागू नहीं होंगे. अगर कोई ऐसा मामला सामने आता है जहां अपराध निरंतर हो रहा है, तो उसपर कोर्ट अपने आप फैसला ले सकता है.

6. क्या मुख्य संशोधन किए गए हैं?

– ट्रायल से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट दे सकता है आरोपी को जमानत.

– पीड़िता, परिजन और खून के रिश्तेदार ही एफआईआर दर्ज करा सकते हैं.

– मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का अधिकार होगा.

– एक बार में तीन तलाक बिल की पीड़ित महिला मुआवजे की हकदार