भारत की दोनों कोविड वैक्सीन हैं असरदार; कॉन्वेंट स्टडी की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, अब बिना टेंशन के लगाएं टीका

कॉन्वेंट स्टडी का फाइनल प्रकाशन डायबिटीज एंड मेटाबोलिक सिंड्रोम क्लीनिकल रिसर्च एंड रिव्यु जरनल में 5 फरवरी 22 को हुआ है। मेडिकल जगत में कोविड वैक्सीन पर यह रिसर्च है। डॉक्टर एके सिंह (कोलकाता), डॉ संजीव फाटक (अहमदाबाद) एवं डॉ एन के सिंह (धनबाद) के देखरेख में यह स्टडी की गई है।

कोविशिल्ड एंड कोवैक्सिन के सेकेंड डोज के छह महीने बाद 481 हेल्थकेयर वर्कर्स पर भारत के 22 शहरों में यह स्टडी की गई। सबके एंटी स्पाइक एंटीबॉडी की गई। इसके नतीजे सकारात्मक रहे। भारत की यह दोनों वैक्सीन की गुणवत्ता बहुत ज्यादा है और सुरक्षित भी है।

418 लोगों में 360 ऐसे लोग थे जिन्हें छह महीने के बाद कोरोना नही हुआ और सभी की एंटीबॉडी की मात्रा काफी घट गई

– कोविशील्ड ग्रुप में शुरुवाती मात्रा से एंटीबॉडी की मात्रा ज्यादा घटी।

– कोवाक्सिन ग्रुप में शुरुवाती दौर में एंटीबॉडी कोविशील्ड की अपेक्षा में कम बनी थी मगर छह महीने बाद इसके घटने की दर लगभग बरबरी पर आ गयी।

– एंटीबॉडी का कमना साफ संदेश दे रहा है की बूस्टर डोज की जरुरत है!

– डायबिटीज से ग्रसित लोगों में एंटीबॉडी बनने की दर कम रही

–  ब्लड प्रेसर के मरीजों में छह महीने के बाद एंटीबॉडी घटने की दर सबसे ज्यादा रही

– जिन लोगो को वैक्सीन लेने के बाद सेकंड वेव में कोरोना हो गया था उनमे ऐंटीबॉडी की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ी

–  सेकंड डोज के 21 दिन बाद एंटीबॉडी का लेवल को छह महीने की मात्रा से तुलना की जाए तो घटने की दर  56 % थी

– दोनो वैक्सीन की डोज लेने के बाद कोरोना होने की संख्या लगभग बराबर रही।