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हिमाचल में उठा मुद्दा: कर्मचारियों की पदयात्रा, पुरानी पेंशन स्कीम बनी भाजपा के लिए सिरदर्द!

विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना की मांग बढ़ती जा रही है। हिमाचल प्रदेश नई पेंशन योजना कर्मचारी संघ (एनपीएसईए) के बैनर तले कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर नौ दिन की पदयात्रा निकाल रहे हैं।कांग्रेस सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना की घोषणा के बाद, अब राज्य की भाजपा सरकार पर इसकी घोषणा करने का भारी दबाव है।

 रिपोर्ट के मुताबिक पदयात्रा 23 फरवरी को मंडी में शुरू हुई थी और 3 मार्च को शिमला पहुंचने की उम्मीद है और लगभग एक लाख कर्मचारियों के शिमला में पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने की उम्मीद है। कर्मचारियों का आरोप है कि जब विधायकों को वित्तीय लाभ की बात आती है तो सरकार जल्दी फैसला लेती है लेकिन जब पुरानी पेंशन के लाभ की बात आती है तो वही सरकार फंड की कमी को लेकर रोने लगती है।

भाजपा का दावा है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को खत्म कर दिया था, तो वहीं कांग्रेस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को नई पेंशन योजना शुरू करने के लिए पुरानी पेंशन योजना को खत्म करने का दोषी ठहराया। राजस्थान सरकार पहले ही कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने की घोषणा कर चुकी है और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आश्वासन दिया है कि कांग्रेस उन राज्यों में पुरानी पेंशन देगी जहां वह सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा, “कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आने पर पुरानी पेंशन योजना को प्राथमिकता के आधार पर लागू करेगी और प्रदेशअध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी इसकी घोषणा की है।”

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