Site icon Overlook

मानदेय, सुरक्षा ट्रेनिंग सहित कई सिफारिशें, गांव के चौकीदार बने ग्राम प्रहरी

उत्तर प्रदेश राज्य विधिक प्राधिकरण ने गांव के चौकीदार का नामकरण ‘ग्राम प्रहरी’ करते हुए उनकी शैक्षिक योग्यता, शारीरिक दक्षता तय करने के साथ उन्हें समुचित मानदेय दिये जाने और समय-समय पर उन्हें गांव की सुरक्षा व्यवस्था के बाबत प्रशिक्षित किये जाने की संस्तुति की है। विधि आयोग ने प्रदेश सरकार के निर्देश पर जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में गांव के चौकीदार के लिए बनी व्यवस्था का अध्ययन करने के बाद इस बारे में उ.प्र.सरकार को अपनी संस्तुतियां दी हैं।

 राज्य सरकार को समय-समय पर इन ग्राम प्रहरियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए ताकि वह कानून के समुचित अनुपालन के लिए अपने कर्तव्य व अन्य क्रियाकलापों को भलीभांति अंजाम दे सके। ग्राम प्रहरी को सामाजिक सुरक्षा दिये जाने के बारे आयोग ने सिफारिश की है कि ड्यूटी के दौरान और पूरे सेवाकाल में  ग्राम प्रहरी की मृत्यु होने पर उसके आश्रितों के समुचित हितलाभ सुनिश्चित किये जाने चाहिएं।

आयोग ने ग्राह प्रहरियों के लिए सामूहिक बीमा योजना की भी संस्तुति की है। आयोग का कहना है कि ग्राम प्रहरियों के बारे में कानून बनाते समय ‘ग्राम प्रहरी’, ‘गांव’, ‘पुलिस अधीक्षक’, ‘बीट’, ‘नियुक्ति प्राधिकारी’ आदि शब्दों को स्पष्ट व समुचित रूप से पारिभाषित किया जाना चाहिए। जिलाधिकारी ग्राम प्रहरी के नियुक्ति प्राधिकारी होंगे।

 गांव में किसी भी तरह की संदिग्ध, अप्राकृतिक,आकस्मिक मृत्यु के बारे में सम्बंधित पुलिस अधिकारी को तत्काल सुचना देगा। हत्या, लूट, चोरी, बलात्कार, अग्निकांड, हादसे में घर के क्षतिग्रस्त होने, अपहरण, बच्चों व महिलाओं के साथ होने वाले अन्य अपराध आदि की सूचना भी वह तत्काल सम्बंधित पुलिस अधिकारी को देगा। किसी ऐसे विवाद जिससे गांव में जातीय, साम्प्रदायिक उन्माद भड़कने, दंगा होने की आशंका हो उसके बारे में भी वह तत्काल पुलिस को सूचित करेगा।

Exit mobile version