रवि पाराशर
प्रतिकूल परिस्थितियां ही मनुष्य को विकास की सीढ़ियों तक ले जाती हैं. आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है. कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को ये दो बुनियादी बातें फिर से याद दिला दी हैं. स्वास्थ्य सुविधाओं में अव्वल रहने वाले बहुत से देश किन्हीं कारणों से भले ही कोविड-19 के कहर पर असरदार तरीके से काबू नहीं पा सके, लेकिन भारत ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है, इसमें कोई शक किसी को नहीं होना चाहिए. विपक्ष के राजनैतिक आरोपों को ताक पर नहीं भी रखें, तो हकीकत यही है कि भारत ने गत 21 अक्टूबर को 100 करोड़ से ज्यादा टीके लगाने की आंकड़ा पार कर लिया.
सच यह भी है कि वर्ष 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत की राजनीति में नया दौर शुरू होने के बाद नागरिकों की कई ऐसी बुनियादी समस्याओं की तरफ पहली बार ध्यान दिया गया, जिनका समाधान पहले की सरकारों की प्राथमिकता सूची में नहीं रहा. सीधे स्वास्थ्य से जुड़े मामलों के अलावा ऐसे बहुत से दूसरे कदम भी होते हैं, जो कमजोर व्यक्ति के हरसंभव सशक्तीकरण (स्वास्थ्य समेत) के लिए आवश्यक होते हैं.
आयुष्मान और हेल्थ मिशन से अलग महत्वपूर्ण योजना
देश में मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना पर उल्लेखनीय रूप से जोर देने के साथ ही मोदी सरकार ने अब आयुष्मान भारत योजना और नेशनल हेल्थ मिशन से अलग एक और महत्वपूर्ण योजना लॉन्च की है. नए मिशन का नाम है प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन. इस मिशन पर पांच साल में 64 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे. नए मिशन के जरिये देश के कोने-कोने में इलाज से लेकर क्रिटिकल रिसर्च तक पूरा इकोसिस्टम बनाया जा रहा है. इसके तहत गांवों और शहरों में ‘हेल्थ और वेलनेस सेंटर’ खोले जा रहे हैं, जहां शुरुआत में ही बीमारियों का पता लगाया जा सके.
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत सभी स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं से युक्त दो बड़े सचल कंटेनर स्थापित किए जाएंगे. इमरजेंसी में उन्हें हवाई या रेल मार्ग से कहीं भी ले जाया जा सकेगा. हर कंटेनर में 200 बिस्तरों की क्षमता होगी और इन्हें दिल्ली और चेन्नई में स्थापित किया जाएगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के अनुसार नए मिशन के तहत स्थापित होने वाली सुविधाओं से जिला स्तर पर ही 134 तरह के टेस्ट हो जाएंगे. प्रधानमंत्री ने 157 नए मेडिकल कॉलेज को मंजूरी दी है. मेडिकल छात्रों के लिए सीटें लगभग दोगुनी हो जाएंगी. मांडविया के मुताबिक कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियों का इलाज और जांच प्राइमरी लेवल पर हो सकेगा