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मशाल जुलूस निकाल जिला आंदोलन को फिर धार देने की कोशिश

विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही अब 10 साल पहले घोषित चारों जिलों को अस्तित्व में लाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। चारों जिलों की गठित संयुक्त जिला संघर्ष समिति की ओर से नगर में भी सर्वदलीय मशाल जुलूस निकालकर आंदोलन को धार देने की कोशिश की जा रही है

डीडीहाट, कोटद्वार और यमुनोत्री को जिला बनाने की घोषणा 2011 में तत्कालीन भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने की थी, लेकिन जिले अस्तित्व में नहीं आ सके। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने जिलों के लिए पुनर्गठन आयोग बना दिया और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। वर्ष 2017 में भाजपा फिर सत्तासीन हुई, लोगों की उम्मीद भी बलवती हुई

अब मशाल जुलूस के माध्यम से सरकार को चेताने का निर्णय लिया।

मंगलवार शाम नगर के केमू स्टेशन, सुभाष चौक होकर रोडवेज तक मशाल जुलूस निकाला गया। इसमें ब्लॉक प्रमुख हीरा रावत, व्यापार मंडल निवर्तमान अध्यक्ष भगवंत नेगी, समिति के मोहन नेगी, गिरीश भगत, डीएन बड़ोला, लक्ष्मण नेगी, मोहित नेगी, संजय पंत, कैलाश पांडेय, विमल भट्ट, आदि रहे।

वर्ष 1955 से चल रही है रानीखेत जिले की मांग

रानीखेत। यहां जिले की मांग वर्ष 1955 से चल रही है। तब से लेकर कई बार वृहद आंदोलन हुए, लेकिन हर बार नतीजा सिफर रहा। वर्ष 2000 में राज्य बनने के बाद छोटी प्रशासनिक इकाइयां बनने की उम्मीद थी, लेकिन फिर निराशा हाथ लगी। इस बीच लगातार आंदोलन हुए। वर्ष 2011 में रानीखेत सहित चार जिलों की घोषणा हुई जो कोरी साबित हुई। अंग्रेजों के समय रानीखेत एकमात्र तहसील थी, जिसे उपमंडल का दर्जा हासिल थी, राज्य बनने के बाद छह तहसीलें बन गई

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