Site icon Overlook

मझवारों को जल्दी आरक्षण देने की तैयारी में योगी सरकार

प्रदेश सरकार अतिपिछड़ों खासतौर पर मझवार (निषादों समेत 13 उपनाम) को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने की तैयारी में है। इसी के लिए भारतीय पार्टी और सरकार ने सभी कानूनी पहलुओं पर मंथन कर लिया है। जल्द ही संभव इस संबंध में शासनादेश जारी कर मझवार जाति को अनुसचित जाति में शामिल करने का शासनादेश जारी कर दिया जाएगा।
 
हाल में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए कई बार दिल्ली में बैठक की है। इस बैठक में डा. संजय निषाद के अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने हिस्सा लिया है। साथ ही महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह से भी कई दौर की बैठक हो चुकी है। महाधिवक्ता ने भी इस संबंध में शासन को रिपोर्ट दे दी है। दरअसल, वर्ष 1961 में जनगणना के लिए केंद्र सरकार ने एक मैनुअल सभी राज्य सरकारों को भेजा था। इसमें कहा गया कि केवट, मल्लाह को मझवार में गिना जाए। इस संबंध में केंद्र सरकार ने वर्ष 1951 में भी सभी राज्यों को सात जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की अधिसूचना भेजी थी। इसमें मझवार, गोंड, तुरया, खरवार, बेलदार,खरोट, कोली जातियां थीं। 

वहीं 31 दिसंबर 2016 को तत्कालीन सरकार ने उप्र लोकसेवा अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्गों के आरक्षण अधिनियम-1994 की धारा-13 में संशोधन कर केवट, मल्लाह और निषाद के अलावा धीवर, बिंद, कहार, कश्यप, भर और राजभर को ओबीसी की श्रेणी से निकाल दिया लेकिन इसे आनलाइन नहीं किया गया। राज्य सरकार ने इस संबंध में महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह से राय मांगी थी। 

सूत्रों का कहना है कि उन्होंने इसमें कोई विधिक अड़चन न होने की बात कहते हुए रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। राघवेंद्र सिंह ने कहा कि रिपोर्ट गोपनीय है। इस संबंध में भाजपा के महामंत्री संगठन सुनील बंसल से भी लखनऊ में मंथन हो चुका है। डा. संजय निषाद ने कहा कि रिपोर्ट भेजी गई है। इन जातियों का तर्क है कि जब केंद्र सरकार के साथ ही संविधान में भी मझवार को एससी की सूची में शामिल कर रखा है तो राज्य सरकार को भी मझवारों और उनकी उपनामों को अनुसूचित जाति में शामिल करना चाहिए। कई राज्यों में यह जातियां अनुसूचित जाति में शामिल हैं।

Exit mobile version