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भारत विभाजन: जब एक मुस्लिम अफ़सर ने सिख परिवार की जान बचाने के लिए क़ुरान की क़सम खाई

मस्जिद के इमाम को उनकी बात पर शक हुआ और उन्होंने क़ुरान मंगाकर उस अधिकारी से कहा कि इसकी क़सम खाओ कि आपके घर में आपका भाई और उनका परिवार रह रहा है. जिस पर सरकारी अधिकारी क़ुरान की क़सम खाते हैं कि जिसे मैंने घर में पनाह दी है वह मेरा भाई है. भारत के विभाजन के समय, हिंदू, सिख और मुसलमान, वर्तमान पाकिस्तान और भारत में, जहां जहां भी वे अल्पसंख्यक थे बहुसंख्यकों के प्रकोप का शिकार हुए थे. बलवाइयों के जत्थे अपने-अपने इलाक़ों से प्रवास करने वालों पर हमला करते थे. कुछ खुशनसीब प्रवासी अपने इलाक़ों को छोड़कर सही सलामत ज़िंदा विस्थापन करने में सफल रहे और कई को अपनी जान और माल गंवाना पड़ा. जहां ज़्यादातर लोग अल्पसंख्यकों पर हमला कर रहे थे, वहीं कई ऐसी घटनाएं भी मौजूद हैं जिनमें हिंदुओं और सिखों ने मुसलमानों की जान-माल की रक्षा की और मुसलमानों ने अपनी जान जोखिम में डालकर हिंदुओं और सिखों की मदद की.

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