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लोगो को रेलवे में नौकरी दिलवाने के लिए की हजारों-लाखो की ठगी, फर्जी नियुक्तिपत्र दिए

पूर्वोत्तर रेलवे में फर्जी नियुक्तिपत्र देकर सात-सात लाख रुपये ऐंठने के मामले में जिस तरह जालसाजी हुई, इसमें कोई दो राय नहीं कि कुछ रेलकर्मियों की मिलीभगत इसमें जरूर है। वह वर्तमान में कार्यरत या सेवानिवृत्त रेलकर्मी भी हो सकते हैं। पीड़ितों ने यह आरोप लगाते हुए कहा कि वे इस संबंध में महाप्रबंधक को अवगत कराएंगे।

ठगी के शिकार हुए युवकों का बयान रेलकर्मियों की मिलीभगत के आरोपों की पुष्टि करता है। मसलन, जब भी युवकों को हाजिरी या कागजात देने के लिए बुलाया गया तो उस समय जालसाजों ने कई रेलकर्मियों से दुआ-सलाम किया। वहीं जालसाजों को कोई रोकता-टोकता भी नहीं था। यानी उनकी रेलकर्मियों के बीच गहरी पैठ है। यह तभी संभव है, जब तक कि वे रेलवे से जुड़े न हों।

फर्जीवाड़े का शिकार हुए आदित्य विश्वकर्मा और राज कुमार मौर्य के मुताबिक उन्हें प्रमुख मुख्य इंजीनियर कार्यालय के दफ्तर, मुख्य कार्मिक विभाग एवं लेखा विभाग के दफ्तर में बुलाया जाता था। कभी-कभी गेट पर ही उनकी हाजिरी लगवाई जाती थी। समय भी दोपहर 2 बजे से 3 बजे या शाम छह बजे के आसपास रखा जाता था। यानी ऐसा समय जबकि भोजनावकाश हुआ हो या शाम को ज्यादातर रेलकर्मी घर चले गए हों। पूरी साजिश के तहत युवाओं को ठगी का शिकार बनाया गया।

दफ्तरों में नहीं लगा है सीसीटीवी कैमरा

रेलवे के दफ्तरों में कहीं भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है। सिर्फ रेलवे स्टेशन पर ही लगा है। यह बात फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों को अच्छी तरह मालूम थी। यही कारण है कि जालसाज रेलवे दफ्तर मेें तो ठगी के शिकार युवकों से मिलते थे, मगर उनके साथ रेलवे स्टेशन पर कभी नहीं गए।

अब महाप्रबंधक को लिखेंगे पत्र

फर्जीवाड़े के शिकार हुए युवकों में शामिल आदित्य ने बताया कि सभी लोग महाप्रबंधक, पूर्वोत्तर रेलवे को पत्र लिखकर आपबीती बताएंगे। पूरे मामले की जांच कराने की मांग करेंगे। युवकों का आरोप है कि बिना रेलकर्मी की मिलीभगत के यह संभव नहीं था। फर्जीवाड़ा में शामिल हरेंद्र सिंह उर्फ भगत जब भी दफ्तर में बुलाता था, रेलवे के कई कर्मचारी उसके परिचित होते थे। बाकायदा हम लोगों के सामने उनसे बात भी करता था। यानी बात साफ है कि फर्जीवाड़ा करने वालों की पैठ रेल कर्मियों के बीच बहुत अच्छी थी और रेलकर्मी भी उन्हें अच्छी तरह पहचानते हैं।

तीन साल पूर्व जालसाजी में पकड़ा गया था अलाउद्दीन

पूर्वोत्तर रेलवे में पहले भी फर्जी नियुक्तिपत्र सौंपने का मामला प्रकाश में आ चुका है। तकरीबन तीन साल पहले खुद को गेटमैन बताने वाले बिहार के अलाउद्दीन ने कई लोगों से रुपये ऐंठे थे। पकड़े जाने पर वह जेल भी गया था। एक साल पहले उसे रेलवे पुलिस चौकी के पास ही रेलकर्मियों ने फिर पकड़ा था लेकिन वह चकमा देकर फरार हो गया। इस युवक पर आरोप था कि उसने 20 से ज्यादा लोगों से रकम लेकर नियुक्ति कराने का वादा किया था और फर्जी नियुक्तिपत्र देकर फरार हो गया था।

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