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करहल विधानसभा सीट से क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं अखिलेश, यहां जानिए गणित

अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उन्होंने सपा के गढ़ मैनपुरी के करहल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। सपा प्रवक्ता आशुतोष वर्मा ने इसकी घोषणा की। 

समाजवादियों का गढ़ है करहल
करहल विधानसभा क्षेत्र को समाजवादियों का गढ़ माना जाता है। 1957 में करहल को सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। 1974 में करहल सामान्य विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। 1995 में करहल सीट से सपा ने पहली बार बाबूराम यादव को चुनाव लड़ाया था। वह लगातार तीन बार विधायक रहे हैं। 2002 में भाजपा के सोबरन सिंह यादव चुनाव जीते.

सैफई परिवार की बेटी को भी मैनपुरी ने दी पहचान
मैनपुरी ने केवल सैफई परिवार के बेटों को ही नहीं बेटी को भी राजनीति में पहचान दिलाई। इसी मैनपुरी से वर्ष 2015 में सपा के टिकट पर सैफई परिवार की पहली बेटी ने राजनीति में कदम रखा। ये और कोई नहीं बल्कि सपा संरक्षक की भतीजी और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की बहिन संध्या यादव थीं। सपा के टिकट पर वे जिला पंचायत सदस्य चुनकर आईं और जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। बाद में पति अनुजेश यादव ने भाजपा का दामन थामा तो वे भी कमल दल में शामिल हो गईं।

तीन सीटों पर मैनपुरी में काबिज है सपा
मैनपुरी में कुल चार विधानसभा सीटें हैं, इसमें मैनपुरी, भोगांव, किशनी और करहल शामिल हैं। वर्तमान में भोगांव को छोड़कर तीन पर सपा काबिज हैं। वहीं भोगांव सीट बीते चुनाव में भाजपा के खाते में चली गई थी। इससे पहले ये सीट लगातार पांच बार सपा के खाते में रह चुकी है।

सपा कार्यकर्ता ने खून से लिखा पत्र
मैनपुरी। भोगांव विधानसभा क्षेत्र के हविलिया मंगलपुर निवासी मोहित यादव डीपी ने बृहस्पतिवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को खून से लिखा पत्र भेजा। पत्र में कहा कि मैनपुरी की धरती पर हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। यदि मैनपुरी से चुनाव लड़ते हैं तो मैनपुरी की सम्मानित जनता उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी जीत दिलाएगी। मोहित ने बताया कि उसने वर्ष 2019 में आजमगढ़ जाकर अखिलेश यादव का प्रचार किया था।

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