नई दिल्ली- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में देशद्रोह मामले में आरोपित जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार व अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी को लेकर सोमवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट अहम सुनवाई करेगी। कोर्ट सोमवार को वीडियो फुटेज कोर्ट देखेगा।
इससे पहले पिछली सुनवाई में 27 फरवरी को हुई सुनवाई में दिल्ली सरकार द्वारा मंजूरी नहीं देने के चलते पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा था कि केस पर सुनवाई बिना मंजूरी के शुरू की जाएगी।
जांच अधिकारी ने बताया था कि अभी तक सरकार से जरूरी मंजूरी नहीं मिली है। इस पर अदालत ने कहा था कि आपने आरोपपत्र दाखिल करने में तीन साल लगा दिए और अब सरकार भी मंजूरी देने में तीन साल का समय लेगी।
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि 9 फरवरी 2016 को जेएनयू में तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। आरोपित अनिर्बान भट्टाचार्य औैर उमर खालिद ने देशविरोधी नारे लगाए और कन्हैया कुमार ने उनका साथ दिया।
गौरतलब है कि 14 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने करीब 1200 पन्नों का आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया था। इसमें कन्हैया कुमार, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के सदस्य उमर खालिद व इतिहास के शोधार्थी अनिर्बान भट्टाचार्य को मुख्य आरोपित बनाया था। सात अन्य आरोपितों में आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उतर गुल, रईस रसूल, बसरत अली व खालिद बशीर भट शामिल हैं।
आरोपपत्र के कॉलम नंबर 12 में संदिग्धों में रामा नागा, आशुतोष, शेहला रशीद, डी राजा की बेटी अपराजिता राजा, रुबैना सैफी, समर खान समेत 36 छात्रों को रखा गया है। कोर्ट के आदेश पर इन्हें भी आरोपित बनाया जा सकता है। कॉलम नंबर 12 संदिग्धों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिनके खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं होते हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने को लेकर दायर 1200 पन्ने के आरोप पत्र में विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को भी आरोपी बनाया है। पुलिस ने अदालत में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ 1200 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल करते हुए कहा था कि वह परिसर में एक कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे और उन पर फरवरी 2016 में विश्वविद्यालय परिसर में देश विरोधी नारों का समर्थन करने का आरोप है।
