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आतंकवाद की राह पकड़ रहे कश्मीरी युवा, दस दिन में छह युवक आतंकी बने

श्रीनगर। स्थानीय युवकों की आतंकी संगठनों में भर्ती रोक पाने में राज्य प्रशासन, पुलिस व सुरक्षा एजेंसियां सफल नहीं हो पा रही हैं। पिछले दस दिन में दक्षिण कश्मीर में छह युवक आतंकी बने हैं। मौजूदा साल में अब तक 100 से ज्यादा स्थानीय युवकों ने आतंकी संगठनों का दामन थामा है।

अधिकारिक तौर पर 68 लड़कों के आतंकी बनने का दावा किया जाता है। दक्षिण कश्मीर से बीते दस दिनों में आतंकी बने पांच युवकों में से तीन जिला अनंतनाग से संबंध रखते हैं। इनमें से एक खन्नाबल अंनताग के रहने वाले इश्तियाक अहमद मीर का पुत्र बासित अहमद मीर है।

वह लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ है। लश्कर ने उसका कोड नाम अबु अयान रखा है। वह बीएससी प्रथम वर्ष का छात्र था। उसके साथ लश्कर में शामिल होने वाला तारिक अहहमद खान अनंतनाग के लालचौक में रहने वाले नजीर अहमद खान का बेटा है। वह 12वीं पास है। अब लश्कर में वह अबु साद के नाम से सक्रिय हो चुका है। तारिक के आतंकी बनने की पुष्टि पांच अगस्त को हुई है। बासित पहली अगस्त को आतंकी बना है। जिला अनंतनाग से आतंकी बनने वाले तीसरे युवक का नाम वकार मलिक निवासी अरवनी बिजिबहाड़ा है। बीए द्वितीय वर्ष का छात्र वकार बीते सप्ताह ही आतंकी बना है।

उसने भी सोशल मीडिया पर हथियारों संग अपनी तस्वीर वायरल कर, आतंकी बनने का एलान किया है। दो अन्य युवक बिलाल अहमद बट और बशारत अहमद बट जो हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुए हैं, ने तीन दिन पहले सोशल मीडिया पर तस्वीरों को वायरल कर आतंकी बनने का एलान किया है। दोनों जिला शोपियां के रहने वाले हैं। पहली अगस्त को घर से गायब होकर आतंकी बनने वाले खुर्शीद अहम मलिक निवासी आराबल पुलवामा दो दिन बाद सोपोर में हुई मुठभेड़ में मारा गया है। वह बीटेक कर चुका है। साथ गत मंगलवार को राज्य पुलिस की सब इंस्पेक्टर पद की सूची में उसका नाम शामिल था।

गौरतलब है कि वर्ष 2010 से लेकर 2018 तक 546 से अधिक युवा आतंकवाद का दामन थाम चुके हैं। बारह से अधिक लड़के लापता सूत्रों ने बताया कि बारह से अधिक लड़के पहलगाम, कुलगाम, काजींकूला, बारगाम, शोपियां औ पुलवामा से गायब हुए हैं।

सभी के आतंकी संगठनों में शामिल होने की आशंका है। संबंधित पुलिस अधिकारियों के मुताबिक,जब तक इन युवकों के आतंक बनने का कोई पक्का सुबूत हाथ नहीं लगता या यह लोग आतंकी गतिविधायिों में शामिल नहीं होते हम इन्हें लापता ही मानते हैं।

 

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