आजादी के 72 वें साल में उत्तरकाशी के चार गांवों को मिला रोशनी का तोहफा

उत्तरकाशी: जीवन में उजाले के यूं तो कई मायने होते हैं, लेकिन आधुनिक जीवन में बिजली के उजाले के बिना जिंदगी की कल्पना अधूरी सी लगती है। पर, उत्तरकाशी में चार गांवों में बिजली की रोशनी की कल्पना 71 साल बाद साकार हो सकी। इन गांवों के लोग पहली बार बिजली की जगमग के बीच स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे।

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 215 किलोमीटर दूर हरकीदून घाटी पड़ती है। इस घाटी में ओसला, गंगाड़, पवाणी, धारकोट गांव पड़ते हैं। सड़क मार्ग तालुका से इन गांवों तक पहुंचने के लिए 20 से 25 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।

गोविंद वन्यजीव विहार क्षेत्र में आने वाले इन गांवों को जोड़ने के लिए सड़क स्वीकृत नहीं है। इसके साथ ही ये गांव संचार सेवा से भी पूरी तरह से कटे हुए हैं। लेकिन, करीब तीन हजार की आबादी वाले इन गांवों में आजादी के 72 वर्ष बाद बिजली की रोशनी पहुंची है।

बीते एक अगस्त को चारों गांवों में बिजली की आपूर्ति सुचारु हुई, तो इन चारों गांवों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। यह बिजली भी इन ग्रामीणों को गांव में ही बनी 100 किलोवाट की चिलुड़गाड लघु जलविद्युत परियोजना से मिल रही है। चिलुड़गाड लघु जलविद्युत परियोजना समिति पावणी के अध्यक्ष बचन पंवार ने कहा कि वर्ष 2010-2011 में चिलुड़गाड लघु जलविद्युत परियोजना का काम शुरू हुआ, लेकिन उरेडा की लापरवाही के कारण परियोजना का काम बीच में बंद रहा, जिसके बाद ग्रामीण शासन में पहुंचे थे।

2015 से परियोजना पर निर्माण फिर से शुरू हुआ। बीते अप्रैल में परियोजना की दो टरबाइन में से 50 किलोवाट की एक टरबाइन शुरू हुई। दूसरी टरबाइन का काम बीते एक अगस्त को पूरा हुआ और दोनों टरबाइनों से उत्पादन शुरू हुआ, जिससे चारों गांवों में बिजली की आपूर्ति सुचारु हो गई है।

उन्होंने बताया कि इस परियोजना के संचालन के लिए चारों गांवों से एक-एक युवक को प्रशिक्षण के लिए आइआइटी रुड़की भेज रहे हैं, जिसके बाद ये युवक ही इस परियोजना का संचालन करेंगे। बिजली की दर भी समिति तय करेगी, जिससे इन युवाओं का मानदेय निकल सके।