अविश्वास प्रस्ताव पर देखने लायक होगा हुड्डा और चौटाला का रुख

चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में इस बार हंगामा होने के आसार हैं। इसकी वजह कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना है। हुड्डा ने इनेलो नेता अभय चौटाला से भी इसके लिए पेशकश की है।

हालांकि विपक्ष के कुछ नेता चुनाव से मात्र एक साल पहले अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने को उचित नहीं मानते, लेकिन जिस तरह से हुड्डा ने चौटाला से इस पर साथ देने की बात कही है, उसके मद्देनजर अब चौटाला के रुख पर सभी की निगाह टिक गई है। फिलहाल चौटाला ने यह कहते हुए राजनीतिक दांव खेल दिया कि हुड्डा ने यह सुझाव देर से दिया। फिर भी इस पर विधायकों के साथ चर्चा की जाएगी।

हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र 17 अगस्त से शुरू होगा, जो 21 अगस्त तक चलेगा। बीच में दो दिन अवकाश है। नंबर गेम के लिहाज से भाजपा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है। उसके पास खुद के 47 विधायकों के अलावा चार आजाद और एक बसपा से निष्कासित विधायक का समर्थन हासिल है।

हुड्डा और चौटाला को लगता है कि यदि मौजूदा भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो भाजपा के उन असंतुष्ट विधायकों का साथ भी मिल सकता है, जो विभिन्न मुद्दों पर कभी अपनी सरकार को घेरते रहे और खुद को बागी के बजाय सुधारक कहते हैं। ऐसे विधायकों की संख्या दस से ऊपर है।

यदि हुड्डा और चौटाला में अविश्वास प्रस्ताव पर सहमति बनती है तो भाजपा को अपने इन विधायकों को साधना होगा, हालांकि ये विधायक फिलहाल विद्रोह के मूड में नहीं दिखते। हालांकि हुड्डा और चौटाला के बीच सहमति बनने के आसार कम हैं, बल्कि इस बात के ज्यादा हैं विधानसभा में दोनों विपक्षी दल ही न कहीं टकरा जाएं।

संख्या बल की बात करें तो हरियाणा विधानसभा में इनेलो के 19 और एक शिरोमणि अकाली दल बादल का विधायक है। कांग्रेस विधायकों की संख्या 17 है। इनमें चार विधायक ऐसे हैं, जो हुड्डा के कहने पर शायद ही अपने वोट का इस्तेमाल करें, इसलिए अविश्वास प्रस्ताव लाना आसान नहीं होगा। यदि अविश्वास प्रस्ताव आ भी जाता है और हुड्डा व चौटाला मिलकर भाजपा के अंसतुष्ट विधायकों को तोड़ पाने में सफल नहीं हो सके तो इससे विपक्ष को कम तथा भाजपा को अधिक फायदा होगा। हुड्डा को जवाब देने के लिए विधानसभा सत्र शुरू होते ही चौटाला खुद हुड्डा से ही भाजपा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की नई पेशकश कर सकते हैं। तब और रोचक स्थिति होगी।

हरियाणा विधानसभा में विधायकों का गणित

भाजपा 47
आजाद

 

इनेलो

कांग्रेस

अकाली दल

6 (एक बसपा से निष्कासित)

19

17

एक

संख्या बल में चौटाला आगे, इसलिए अविश्वास प्रस्ताव की पहल करें

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हरियाणा की भाजपा सरकार से जनता दुखी है। लोग चुनाव के इंतजार में बैठे हैं। हम हर समय चुनाव के लिए तैयार हैं। संख्या बल के लिहाज से इनेलो न केवल प्रमुख विपक्षी दल है, बल्कि विपक्ष में उसके पास सबसे अधिक विधायक हैं। विपक्ष के नेता को चाहिए कि यदि वह अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएं। मुझे लगता है कि केंद्र व राज्य में भाजपा का अक्सर साथ देने वाली पार्टी इनेलो ऐसी पहल शायद ही करे।

पहले प्रदेश के लोगों से माफी मांगे हुड्डा

नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला का कहना है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह पेशकश करने में बहुत देर कर दी है। फिर भी हम अपनी पार्टी के विधायकों से इस प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। हुड्डा को पहले प्रदेश के लोगों से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने अपने 10 साल के राज में एसवाईएल नहर निर्माण के लिए एक भी कदम नहीं उठाया। उन्हें इनेलो के आंदोलन में हमारा साथ देना चाहिए। यह पार्टी की नहीं बल्कि प्रदेश के हितों की लड़ाई है, जिसमें हमें काफी हद तक कामयाबी मिल चुकी है।

अविश्वास प्रस्ताव लाकर तो देखें, पता चल जाएगा

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का कहना है कि कांग्रेस और इनेलो आपस में मिले हुए हैं। दोनों दल चाहें तो अविश्वास प्रस्ताव ले आएं। राज्यसभा का चुनाव भी इन दोनों दलों ने मिलकर लड़ा था। हमारे पास पूरे नंबर भी हैं और अविश्वास प्रस्ताव लाने वालों का जवाब भी हैं। कांग्रेस व इनेलो की दूरियां तो केवल लोगों को दिखाने के लिए हैं। अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद लोगों को इन दलों की असलियत और औकात भी पता चल जाएगी।